Stop Loss Theory 2023 in Hindi (स्टॉप लॉस का सिद्धांत):
‘स्टॉप लॉस’ शब्द से ही पता चलता है कि उसका मुख्य उद्देश्य यह है कि शेअर्स का भाव जब जादा होता है तब आपका फायदा बढाना या बचाकर रखना और जब शेअर्स का भाव घटता है तब आपके घाटे को मर्यादित करना । दुसरे शब्दों में बताना हो तो उसका मूल हेतू आपको आर्थिक बरबादी से बचाना होता है। स्टॉप लॉस आपके लिए किसी ईन्स्योरन्स पॉलिसी की तरह कार्य करता है। स्टॉप लॉस तीन प्रकार के होते है।
1. आरंभिक स्टॉप लॉस.
2. ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस.
3. ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस.
सफल हुए कई ट्रेडर नुकसान को ट्रेडिंग का ही एक हिस्सा मानकर स्विकार करते है। घाटा उनको मिटा दे उससे पहले वह घाटा कम करने केलिए कदम उठाते है।
1. आरंभिक स्टॉप लॉस (Initial Stop Loss):
ट्रेडिंग की शुरूआत में ही आपको आरंभिक स्टॉप लॉस लगाना चाहिए। साधारण रूप से जब तेजि की पोजिशन ली जाती है तब पिछले दिन के कम भाव के थोडे से निचे के भाव से ही स्टॉप लॉस लगाना चाहिए। उसी तरह से मंदी की पोजिशन केलिए पिछले दिन के सबसे ऊँचे बंद भाव से थोडा उँचा स्टॉप लॉस लगाया जाता है।
इस तरह से सही स्टॉप लॉस का चयन करने के बाद आप अपने ट्रेडिंग की साईज निश्चित कर सकते है। रिस्क मॅनेजमेंट के नियम के अनुसार आपको यह साईज निश्चित करनी चाहिए। जैसे की हमने पहले चर्चा की रिस्क मॅनेजमेंट आरंभिक स्टॉप लॉस का उपयोग करके बाजार में आपको होने वाला घाटा मर्यादित रखने केलिए ही किया गया है।
2. ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस (Break- Even Stop – Loss ) :
आपने खडी की पोजिशन में आपकी गिनती के अनुसार शेअर्स का भाव ठीक से बढ रहा हो तब आप अपने स्टॉप लॉस को उपर ले जाकर ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस पर स्थिर कीजिए। दुसरे शब्दों में बताना हो तो आपने रू. 100 के भाव से खरीदे हुए और रू.98 के स्टॉप लॉस वाले शेअर्स का भाव रू.102 होता है तब आप स्टॉप लॉस रू.98 से उपर ले जाकर रू.100 पर स्थिर कर सकते है। इस व्यवस्था को ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस कहके पहचाना जाता है।
ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस निश्चित करने के बाद बाजार की स्थिति एकदम खराब हुई तो भी आपको नुकसान नहीं होता है। आपका घाटा मात्र दलाली की रकम तक ही सिमीत रहता है, जो बहुत कम ली जाती है। इस तरह से स्टॉप लॉस के व्यवस्थापन के कारण आप के मन को शांती मिलती है। उस की मदद से आपका बहुत बडा नुकसान होगा इस डर पर भी आप अंकुश रख सकते है।
3. ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस (Trailing Stop Loss):
बाजार में आपकी खड़ी की गई पोजिशन आपके निश्चित टार्गेट प्राईज पर पहुँचते ही आपके स्टॉप लॉस का ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस में से ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस में बदल दिया जाता है।
ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस आपके स्टॉप लॉस को उपर ले जाने की प्रक्रिया है। ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस भाव में बढत या घटाव के अनुसार बढनेवाला या घटनेवाल स्टॉप लॉस है। इसे ट्रेईल प्राईज के नाम से भी जाना जाता है। तेजी की पोजिशन में ट्रेईल प्राईज अधिक होता है और मंदी की पोजिशन में ट्रेईल प्राईज कम होता है। यह निचे दिए उदाहरण से अच्छी तरह से स्पष्ट हो सकता है।
जिन शेअर्स में आपने तेजी की पोजिशन ली है उन शेअर्स का भाव रू.100 है। इन शेअर्स की आपकी खरीदी किमत रू. 96 है और आपका ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस रू.98 का है।
अब इन शेअर्स का भाव धीरे-धीरे बढता है और रू.101, 102, 103 होता है। भाव की इस बढोतरी के साथ ही आप अपना स्टॉप लॉस रू. 98 से ऊपर ले जाकर रू. 99, 100 और 101 करते है। अब शेअर्स का भाव रू. 103 पर स्थिर होकर घटने लगे तब भी आपका ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस बदलता नहीं है। जब शेअर्स का भाव घटकर रू. १०१ या उस से भी निचे जाता है तब वह शेअर्स बेचकर हर शेअर्स पर रू. 5 का फायदा लेकर बाहर निकलते है।
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