प्राइस एक्शन ट्रेडिंग का परिचय | प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के सिद्धांत | प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के फायदें | प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के नुकसान
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग का परिचय
प्राइस एक्शन :
सरल भाषा में बताना हो तो, ‘प्राइस एक्शन’ किसी भी सिक्योरिटी के भाव में निश्चित अवधि में होने वाला उतार-चढ़ाव होता है।
“जेसी लिवरमोर” प्राइस एक्शन एनालिसिस के व्यापक प्रयोग कर्ताओं में से एक थे। उन्होंने २०वीं शताब्दी में प्राइस एक्शन ट्रेडिंग का आविष्कार किया।
प्राइस एक्शन का मूल आधार यह है कि भाव कभी झूट साबित नहीं हो सकता। इसलिए प्राइस एक्शन मेथोडोलॉजी सभी टेक्निकल इन्डिकेटर्स को हटा देता है और सिर्फ प्राइस मूवमेन्ट के डेटा को ही महत्व देता है और उसके आधार से ही एन्ट्री और एक्झिट का संकेत दिया जाता है।
प्राइस एक्शन, टेक्निकल एनालिसिस की एक शाखा है या फिर उसका एक हिस्सा है जिसमें किसी भी सिक्योरिटी के वर्तमान और भूतकाल के भाव का उपयोग करके भविष्य के प्राइस मूवमेन्ट का अंदाजा निकाला जाता है।
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग (Price action trading) :
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग ‘क्लीन चार्ट ट्रेडिंग’ के नाम से भी जाना जाता है। प्राइस एक्शन ट्रेडिंग में किसी भी सिक्योरिटी के भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव के आधार पर उसमें खरीदी या बिक्री का निर्णय लिया जाता है।
गुजराती में स्टॉक मार्केट के बारे में एक प्रसिद्ध कहावत है जिसमें प्राइस एक्शन ट्रेडिंग का सार है –
“भाव भगवान छे”
प्राइस एक्शन ट्रेडर मार्केट में ‘क्या हुआ है’ और ‘क्या हो रहा है’ इस पर ध्यान केंद्रित करता है। ‘क्यों हुआ’ इसके झमेले में नहीं पड़ता ।
जैसा कि पहले बताया है, प्राइस एक्शन ट्रेडिंग आम तौर पर प्राइस चार्ट पर आधारित होता है जिसमें अन्य किसी भी इन्डिकेटर्स जैसे कि ओसिलेटर, पिवोट पॉइन्ट, मूविंग एवरेज, आदि का उपयोग नहीं होता ।
प्राइस एक्शन ट्रेडर टेक्निकल इन्डिकेटर्स जैसे कि एमएसीडी, आरएसआई, एडीएक्स, आदि को खास वेटेज नहीं देता।
प्राइस एक्शन ट्रेडर सिर्फ और सिर्फ भूतकाल और वर्तमान भाव से संबंधित डेटा पॉइन्ट्स को ही ध्यान में लेता है जिसमें ओपन, हाई, लो, क्लोज प्राइस का समावेश होता है। इसलिए प्राइस एक्शन ट्रेडर प्रमुखता से कैन्डलस्टिक चार्ट या बार चार्ट का उपयोग करता है।
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग पूरीतरह से माँग और आपूर्ति (डिमान्ड और सप्लाय) के कन्सेप्ट पर आधारित है।
किसी भी सिक्योरिटी का भाव बढ़ता है इसका सरल अर्थ यह होता है कि उसमें विक्रेताओं की तुलना में खरीदार अधिक है, जिससे भाव बढ़ता है। दुसरे शब्दों में, उसमें सप्लाय की तुलना में डिमान्ड अधिक है। इसी प्रकार, यदि किसी सिक्योरिटी के भाव में गिरावट होती है तो इसका सीधा सा मतलब है कि खरीदारों की तुलना में विक्रेता अधिक है, इसलिए भाव घट रहा है। दूसरे शब्दों में, उसमें डिमान्ड की तुलना में सप्लाय अधिक है।
अगले पन्ने पर मैंने दो चार्ट दिखाए है, जिनमें से एक चार्ट में सिर्फ प्राइस एक्शन दिखाया है और दूसरे चार्ट में भाव के साथ विभिन्न इन्डिकेटर्स दिखाए है।
नीचे दिया गया चार्ट निफ्टी ५० का दैनिक प्राइस एक्शन चार्ट है, जो एक सरल तरीके से इन्डेक्स के प्राइस मूवमेंट की स्पष्ट तस्वीर दिखाता है।
नीचे दिया गया चार्ट निफ्टी ५० का दैनिक चार्ट है, जिसमें प्रसिद्ध टेक्निकल इन्डिकेटर्स जैसे कि बोलिंगर बॅन्ड, एडीएक्स, आरएसआई, आदि दिखाए है।
अब इन दोनों चार्ट को देखने के बाद मुझे यकिन है कि आप कहेंगे कि पहले चार्ट को पढ़ना और समझना आसान है, तो दूसरे चार्ट में दिखाए गए इन्डिकेटर्स जटिल और भ्रमित करने वाले है।
इसलिए यदि आप स्टॉक मार्केट में नए है और टेक्निकल एनालिसिस सिख रहे है तो आपको सबसे पहले प्राइस एक्शन से शुरूआत करनी चाहिए और उसके बाद दूसरे इन्डिकेटर्स पर नज़र डालनी चाहिए। ऐसा करने से चाट वास्तव में क्या कह रहे है, वह समझना आपके लिए आसान होगा।
प्राइस एक्शन चार्ट पर चार्ट पैटर्न स्पॉट करना भी आपके लिए आसान होगा।
यदि आप नए है, तो मेरा सुझाव है कि इस किताब को पढ़ने के बाद प्रतिदिन कुछ चार्ट देखने और समझने की कोशिश करें, एनालिसिस करने का प्रयास करें, यह समझने की कोशिश करें कि कैन्डलस्टिक्स क्या कह रहे है और चार्ट पैटर्न्स क्या कह रहा है।
धीरे-धीरे, लेकिन निश्चित रूप से यह अभ्यास आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और आपको ट्रेडिंग में बहुत लाभ होगा।
जरा रूको !
मैं आपको ऐसा कह रहा हूँ, इसका मतलब यह नहीं कि आपको कभी भी टेक्निकल इन्डिकेटर्स का उपयोग नहीं करना चाहिए। आप प्राइस एक्शन डेटा के साथ कुछ इन्डिकेटर्स का उपयोग कर सकते है जो आपके एनालिसिस में उपयोगी होंगे और आपको अधिक कन्फर्मेशन प्रदान करेंगे।
कई प्राइस एक्शन ट्रेडर्स ट्रेन्ड को फिल्टर करने के लिए प्राइस एक्शन डेटा के साथ वॉल्यूम और ५० दिनों के या २०० दिनों के सिम्पल या एक्सपोनेन्शियल मूविंग एवरेज का उपयोग करते है।
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के मूल सिद्धांत
आगे बढ़ने से पहले, आइए उन बुनियादी सिद्धांतों को देखें जिन पर प्राइस एक्शन ट्रेडिंग आकार लेता है।
- सपोर्ट और रेजिस्टन्स
- कैन्डलस्टिक्स और चार्ट पैटर्न।
- ट्रेन्ड।
- मार्केट रिएक्शन (प्राइस रिएक्शन, प्राइस एक्सेप्टन्स)।
- माकट का स्ट्रक्चर।
इन सभी कन्सेप्ट्स के बारे में इस किताब के अगले चैप्टर में हम विस्तार से चर्चा करेंगे।
अब हम प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के कुछ फायदें और नुकसान देखते है।
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के फायदें
1. रियल टाईम ट्रेडिंग में उपयोगी- प्राइस एक्शन रियल टाईम मूवमेन्ट – को दर्शाता है क्योंकि उसमें टेक्निकल इन्डिकेटर्स का समावेश नहीं होता।
2. समझने में आसान- जैसे कि पहले बताया है, प्राइस एक्शन समझना आसन है क्योंकि उसमें सिर्फ प्राइस डेटा पॉइन्ट्स को ही ध्यान में लिया जाता है, जिससे ट्रेन्ड को समझना आसान होता है।
3. ट्रेड करना बहुत ही आसान है – यदि आप केवल सपोर्ट और रेजिस्टन्स कहाँ है यह जान लें, तो प्राइस एक्शन ट्रेडिंग बहुत ही आसान है। मैंने बहुत से ऐसे लोगों को देखा है जो बहुत सारे इन्डिकेटर्स का उपयोग करते है और फिर भ्रमित हो जाते है कि कौन से भाव पर खरीदना है और कौन से भाव पर बेचना है। यह खासकर नए ट्रेडर्स में अधिक नज़र आता है।
क्योंकि उन्होंने अपने ट्रेडिंग सेटअप को भ्रमित करने वाला बनाया होता है। इसलिए मैं हमेशा ट्रेडिंग सेटअप को हो सकें उतना आसान बनाने पर जोर देता हूँ। मैं समझता हूँ की ट्रेडिंग में सबसे महत्वपूर्ण बात यही है।
4. बैक टेस्टेड और टाईम टेस्टेड स्ट्रैटजी – प्राइस एक्शन ट्रेडिंग का मूल सिद्धांत जैसे कि ट्रेन्ड, सपोर्ट और रेजिस्टन्स यह कई सालों से इस्तेमाल में है और मैं खुद पिछले कुछ सालों से इस सरल सेटअप का इस्तेमाल कर रहा हूँ। मेरी समझ से यह बहुत उपयोगी और फायदेमंद है।
5. स्पष्ट एन्ट्री और एक्झिट लेवल प्राइस एक्शन ट्रेडिंग का मुख्य – आधार सपोर्ट और रेजिस्टन्स है। इस कन्सेप्ट का उपयोग करके आप सही डिमान्ड सप्लाय झोन निर्धारित कर सकते है और उसके आधार पर – आप ट्रेड के लिए एन्ट्री और एक्झिट लेवल भी निर्धारित कर सकते है।
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के नुकसान (घाटे) :
1. आम धारणाओं के विपरीत प्राइस एक्शन ट्रेडिंग अक्सर अलग – अलग टाइम फ्रेम में अलग अलग संकेत देता है, जिससे नए ट्रेडर्स के – लिए वह भ्रम पैदा करता है। उदाहरण के तौर पर, किसी विशेष स्टॉक के मामले में, यदि विभिन्न टाइम फ्रेम के लिए एनालिसिस किया जाता है तो ऐसा हो सकता है कि मुझे बुलिश मारूबोजू दिखता है और आपको बुलिश एन्गल्फिंग दिखे, अथवा आपको ट्रेन्डलाइन सपोर्ट नज़र आता है तो मुझे हॉरिझोन्टल सपोर्ट नज़र आए। इसलिए इस मामले में बहुत ही सावधानी बरतना जरूरी होता है।
2. झूठे संकेत प्राप्त होते है – प्राइस एक्शन से हमेशा सही संकेत मिले यह जरूरी नहीं (वास्तव में, ऐसी कोई स्ट्रैटजी नहीं है जो आपको १०० प्रतिशत सही संकेत दे सकें)। आपको प्रत्येक ट्रेड में कमाई हो यह संभव नहीं है। इसमें झूठे सिग्नल्स भी हो सकते है और आपको उनके लिए तैयार रहना चाहिए।
3. बहुत कम ट्रेडिंग के अवसर – आपको अन्य इन्डिकेटर्स की तुलना में प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के आधार पर बहुत कम ट्रेडिंग के अवसर मिलते हैं। इसलिए आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप ट्रेडिंग का सही अवसर मिलने तक राह देखेंगे और फिर उस पर अमल करेंगे। इसलिए अक्सर यह कहा जाता है कि प्राइस एक्शन एक ‘वेटिंग गेम’ है जिसमें बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है।
4. सिग्नल प्राप्त करना मुश्किल होता है ट्रेडिंग या टेक्निकल एनालिसिस में नए आए ट्रेडर्स के लिए प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के आधार पर बुलिश या बेअरीश कैन्डल की रचना को या चार्ट पैटर्न को निर्धारित करना बहुत मुश्किल होता है।
जब स्टॉक मार्केट में या किसी भी अन्य फाइनान्शियल मार्केट में ट्रेडिंग की बात आती है, तब प्रसिद्ध अमेरिकी निवेशक और लेखक हावर्ड मार्क्स का यह सूत्र ध्यान में रखना चाहिए-
“टॉप पर रहने के लिए कोई जादू का फार्मूला नहीं है।”
अंत में, यह आपको तय करना है कि कौनसा सिस्टम आपके लिए सबसे श्रेष्ठ है और उसके आधार पर आपके लिए कौनसी ट्रेडिंग स्टाईल (प्राइस एक्शन ट्रेडिंग या इन्डिकेटर बेस्ड ट्रेडिंग) अनुकूल है।
नए ट्रेडर्स के लिए एक महत्वपूर्ण सलाह देकर मैं इस परिचयात्मक चैप्टर को समाप्त करता हूँ –
‘कभी भी बहुत सारा पैसा कमाने या रातोंरात अरबपति बनने के बारे में न सोचें क्योंकि ऐसा कभी नहीं होता।’