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ग्लोबल मार्केट और भारतीय मार्केट का संबंध | Global Markets Correlation in Hindi

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ग्लोबल मार्केट और भारतीय मार्केट का संबंध (Global Markets Correlation)

ग्लोबल मार्केट और भारतीय मार्केट का संबंध- कंपनी द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय, उनके फायदे का आँकडा, सरकारी नितीयों में किया गया परिवर्तन, इन सभी का परिणाम आपके निवेश पर होता है। उसी तरह से विश्वभर के बाजार में घटनेवाली घटनाओं के कारण शेअर बाजार में आपके निवेश पर प्रभाव होता है।

इसलिए शेअर बाजार में निवेश करनेवालो को विश्वभर के शेअर बाजार में होनेवाली घटनाओं पर भी ध्यान रखना जरूरी है। किसी देश के शेअर बाजार के इंन्डेक्स में होनेवाले उतार-चढाँव अन्य देशों के शेअर बाजार पर किस तरह से परिणाम करते है यह निवेशक को (खास करके डे ट्रेडर्स को) ध्यान में रखना चाहिए। इस टेक्निकल भाषा को ‘कोरिलेशन’ के नाम से जाना जाता है।

कोरिलेशन एक स्टॅटिस्टिकल गिनती है जो दो व्हेअरिएबल्स (दो शेअर्स अ दो इंन्डेक्स आदी) का एक दुसरे से कैसा संबंध है यह दिखाती है।

कोरिलेशन की व्हॅल्यू ‘-1′ अथवा ‘ +1’ हो सकती है। +1 को पॉजिटिव्ह कोरिलेशन के नाम से जाना जाता है। उदाहरण देकर बताना हो तो ‘ए’ इंन्डेक्स में आई हुई १० प्रतिशत की बढत या घटाव ‘बी’ इंन्डेक्स में भी 10 प्रतिशत की बढत या घटाव लाता है। इसी तरह से -1 को निगेटिव्ह कोरिलेशन के नाम से जाना जाता है। उदाहरण देकर बताना हो तो ‘ए’ इंन्डेक्स में 10 प्रतिशत का उतार आया तो उसके प्रभाव से ‘बी’ इन्डेक्स में भी 10 प्रतिशत का चढ़ाव आता है।

दुनियाभर के अलग अलग देशों के इन्डेक्स का इस तरह से कोरिलेशनशिप का विश्लेषण करने की आदत डे ट्रेडर को होनी चाहिए। ऐसे कोरिलेशन की मदद से बाजार कैसे खुलनेवाला है इसका अंदाजा डे ट्रेडर लगा सकते है।

महत्व (Importance) :

आज के युग में टेक्नॉलॉजी में बहुत ही सुधार हुआ है। इंटरनेट और टेलिविजन चैनल्स भी ट्रेडर केलिए जानकारी का भंडार लेकर खडे है। भारत में लाखों निवेशक विश्वभर के बाजार पर नजर रखते है। एशियाई देशों में निक्की, कोस्पि, हेन्गसेन्ग आदी इन्डेक्स का परफॉरमन्स कैसा है उस पर वह नजर रखते है। इसके लिए उन्हे सुबह थोडा जल्दी उठना पडता है। अमेरिका और यूरोप के शेअर बाजार की स्थिति कैसी है इसकी जानकारी केलिए उन्हें रात में देर तक जागकर नजर रखनी पडती है।

डे ट्रेडर को विश्वभर के बाजार की गतिविधीयों पर इसी तरह से नजर रखनी चाहिए। उसी तरह से पोजिशन ट्रेडर दिर्घ कालावधी केलिए निवेश करनेवालो को इस बाजार का ट्रॅक रखना आवश्यक है। अमरिका या युरोपिय देशों के बाजार प्लस में या मायनस में बंद हुए है, यह देखना जरूरी है। साथ ही एशियाई देशों के बाजार के मूड का अंदाजा लेना भी आवश्यक है। यह मूड तेजी की तरफ या मंदी की तरफ है यह जान लेना चाहिए।

ऐसा करने से अपना बाजार किस प्रकार से खुलनेवाला है इसका अंदाजा डे ट्रेडर निकाल सकते है। दिर्घकालीन निवेशक को इस कोरिलेशन के कारण अधिक चिंतीत होने की जरूरत नहीं है क्योंकि दिर्घ कालावधी में अर्थतंत्र के फंडामेंटल्स मार्केट की स्थिति निश्चित करते है ।

विश्वभर के बाजार का समय (Global Market Timings) :

निचे दिए तालिका में दुनियाभर के अलग अलग देशों के शेअर बाजार के खुलने का समय दिया है। इस बाजारों पर दुनियाँ के सबसे अधिक देशों के शेअर बाजार के निवेशकों की और खिलाडियों की नजर होती है।

Stock Exchange Country Opening Time (IST) Closing Time(IST)
Japan Exchange Group Japan 5:30 AM 11:30 AM
Australian Securities Exchange Australia 5:30 AM 11:30 AM
Korea Exchange South Korea 5:30 Am 11:30 AM
Taiwan Stock Exchange Taiwan 6:30 AM 11:00 Am
Hong Kong Stock Exchange Hong Kong 6:45 AM 1:30 PM
Shanghai Stock Exchange China 7:00 AM 12:30 PM
Shenzhen Stock Exchange China 7:00 AM 12:30 PM
Deutsche Borse Germany 12:30 PM 2:30 AM
JSE Limited South Africa 12:30 PM 8:30 PM
Euronext European Union 12:30 PM 9:00 PM
SIX Swiss Exchange Switzerland 1:30 PM 10:00 PM
BME Spanish Exchange Spain 1:30 PM 10:00 PM
London Stock Exchange UK and Italy 1:30 PM 10:00 PM
BM&F Bovespa Brazil 6:30 PM 1:30 AM
New York Stock Exchange USA 7:00 PM 1:30 AM
NASDAQ USA 7:00 PM 1:30 AM
TMX Group Canada 8:00 PM 2:30 AM

नोट (Note) :

उपर दिखाए गए देशों के बाजार के खुलने का समय यह भारतीय स्टॅन्डर्ड समय के अनुसार है।

ग्लोबल मार्केट और भारतीय मार्केट का कोरिलेशन (Global Market Correlation) :

पहले हमने देखा की भारतीय शेअर बाजार और विश्वभर के शेअर बाजार में संबंध है। यह संबंध कैसा और कितने प्रमाण में एकदुसरे पर प्रभाव करते है इसका अभ्यास करने केलिए हम विश्वभर के बाजार के उतार-चढ़ाव की भारतीय बाजार के उतार-चढाव से तुलना करनी चाहिए।

पछिले बारह महिनों में भारतीय इन्डेक्स के उतार-चढाव के साथ अन्य देशों के इन्डेक्स के उतार-चढाव की तुलना की गई है। इसकी लिस्ट आगे दिया है।

1. जापान का निक्की इंन्डेक्स और भारत का र्सेन्सेक्स (Nikkei . Japan V/S Sensex – India) :

निचे दी गई आकृती के अनुसार निक्की और सेंन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में निगेटिव्ह कोरिलेशनशिप नजर आती है।

जापान का निक्की इंन्डेक्स

जापान का निक्की इंन्डेक्स

2. दक्षिण कोरिया का कोस्पि इंन्डेक्स और भारत का सेन्सेक्स (Kospi – South Korea V/S Sensex India) :

निचे दी गई आकृती के अनुसार कोस्पि और सेंन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

दक्षिण कोरिया का कोस्पि इंन्डेक्स

दक्षिण कोरिया का कोस्पि इंन्डेक्स

3. हाँगकाँग का हेन्गसेन्ग और भारत का सैन्सेक्स (Hang Seng – Hong Kong V/S Sensex – India) :

निचे दी गई आकृती के अनुसार हेन्गसेन्ग और सेन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मजबूत कोरिलेशनशिप नजर आता है।

हाँगकाँग का हेन्गसेन्ग

हाँगकाँग का हेन्गसेन्ग

4. चीन का शांघाई कॉम्पोजिट और भारत का सेन्सेक्स (Shangai Composite – China V/S Sensex – India):

निचे दी गई आकृती के अनुसार शांघाई कॉम्पोजिट और सेंन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

चीन का शांघाई कॉम्पोजिट

चीन का शांघाई कॉम्पोजिट

5. एफसीएसई – फूट्सी (ब्रिटन) और भारत का र्सेन्सेक्स (FTSE – UK V/S Sensex – India) :

निचे दी गई आकृती के अनुसार एफसीएसई – फूट्सी और सेन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

एफसीएसई - फूट्सी (ब्रिटन)

एफसीएसई – फूट्सी (ब्रिटन)

6. फ्रान्स का सीएसी और भारत का र्सेन्सेक्स (CAC – France V/s Sensex – India):

निचे दी गई आकृती के अनुसार सीएसी (कॅक) और सेन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

फ्रान्स का सीएसी

फ्रान्स का सीएसी

7. जर्मनी का डीएएक्स और भारत का र्सेन्सेक्स (DAX – Germany V/S Sensex – India) :

निचे दी गई आकृती के अनुसार डीएएक्स और सेंन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

जर्मनी का डीएएक्स

जर्मनी का डीएएक्स

8. अमेरिका का डाऊजोन्स और भारत का सेंन्सेक्स (DJIA – Dow Jones (US) V/S Sensex – India):

निचे दी गई आकृती के अनुसार डाऊजोन्स और सेन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

अमेरिका का डाऊजोन्स

अमेरिका का डाऊजोन्स

9. अमेरिका का नेस्डेक और भारत का सेन्सेक्स (Nasdaq – US) V/S Sensex – India):

निचे दी गई आकृती के अनुसार नेस्डेक और सेंन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

अमेरिका का नेस्डेक

अमेरिका का नेस्डेक

आश्चर्य की बात है कि पिछले बारह महिनों में अमेरिका के डाऊजोन्स और ब्रिटन के फूट्सी-एफटीएसई इंडेक्स के साथ भारतीय शेअर बाजार का कोरिलेशन बहुत ही कम है। विश्वभर के इन दो देशों में से ही भारतीय शेअर बाजार में विदेशी संस्थाकिय निवेशक और सामान्य विदेशी निवेशकों की मदद से जादा से जादा निवेश होता है।

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