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Risk Control and Risk Management in Hindi | रिस्क मैनेजमेंट और रिस्क कंट्रोल क्या है?

Risk Control and Risk Management in Hindi
Risk Control and Risk Management in Hindi

Risk Control and Risk Management in Hindi (रिस्क मैनेजमेंट और रिस्क कंट्रोल क्या है?)

Risk Control and Risk Management in Hindi- ज्यादातर निवेशक और डे ट्रेडर रातो रात करोडपती बनने की अपेक्षा से डे ट्रेडिंग करते है। मगर यह अपेक्षा अवास्तविक है।

डे ट्रेडिंग का काम नए सिरे से शुरू करनेवाले व्यक्ति के पास उसका कुछ भी अनुभव नहीं होता है। डे ट्रेडिंग कैसे करना चाहिए यह अनुभव से ही सिखा जा सकता है। जिस तरह पानी में गिरे बिना तैरना नहीं सिखा जा सकता ठिक उसी तरह से डे ट्रेडिंग का काम शुरू किए बगैर उसका अनुभव नहीं मिल सकता है। शेअर बाजार में साधारण रूप से ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति अपनी गलतीयों में से ही सिखते है। मगर इस प्रक्रिया में आपको बड़ी रकम गवाँनी पड़ती है। शेअर बाजार में ट्रेडिंग करते समय शूरूआत में अपने पैसों का जतन करने का पाठ पहले सिखना पडता है।

सभी ट्रेडर्स को उनका अस्तित्व बनाए रखने केलिए जोखिम को नियंत्रण में रखने की कला सिखना जरूरी है। डे ट्रेडिंग करनेवाले शूरूआत में ही बहुत बडी पोजिशन खड़ी करके जोखिम को नियंत्रण में रखने की बात को ध्यान में न ले तो उन्हें बड़ी रकम का घाटा सहन करते है ऐसा देखा गया है।

जोखीम को अंकुश में रखने केलिए और जोखीम को नियंत्रित करने का सिद्धांत (Principles of Risk Control & Risk Management);

1. जितना घाटा आप सह सकते है उतनी ही रकम से ट्रेडिंग कीजिए (Trade only with Money you can Afford to Lose):

डे ट्रेडिंग में सबसे बड़ा खतरा अगर कोइ है तो वह है पैसा गवाँने का। परंतु इस डर से ही डे ट्रेडर कई बार अपना मुनाफा काटकर घाटे को बढाते है। आपको लगने वाला डर कुछ अंश कम करने केलिए सबसे पहले ऐसा निश्चित कीजिए की जो रकम आप ट्रेडिंग में लगानेवाले है वह सब रकम आप गवाँ सकते है।

आप इस प्रकार के डर के बिना ट्रेडिंग शूरू करोगे तो इस बाजार में सफल होकर अच्छी कमाई करने की आपकी संभावना और भी बढती है।

हमारी ऐसी सलाह है कि आप जितने पैसो का घाटा सह सकते है उतने ही पैसो से ट्रेडिंग कीजिए ।

2. जितना छोटा हो उतना ही अच्छा (Smaller is Better):

भारतीय शेअर बाजार में अनुभव हासिल किए हुए ट्रेडर से कई प्रकार के भाषण आपको सुनने को मिलेंगे। कई ट्रेडर्स काफी समय तक बाजार में रहकर बहुत बडी कमाई करने के बाद अचानक सभी गवाँ चुके है ऐसा भी देखने को मिलता है। उसका एक ही कारण है कि कामयाबी के नशे में वह उन पैसों का नियमन करने का बहुत पूराना और अति महत्वपूर्ण नियम का उल्लंघन करते है।

डे ट्रेडिंग में आपकी पोजिशन जितनी छोटी हो उतनी ही आसानी से आप उसका नियमन कर सकते है। “सही पोजिशन और जादा से जादा फायदा ” इनका सिधा संबंध होता है। डे ट्रेडिंग में घाटा अनिवार्य है पर आपकी पोजिशन जितनी छोटी होगी उतना आपका घाटा कम होगा। कम प्रमाण में गवाँई गई रकम दुसरे ट्रेडिंग में फिर से पाई जा सकती है और भावनात्मक दृष्टी से वह कम तकलीफ वाली है साबित होती।

जब आप बहुत बडी पोजिशन खडी करते है तब आपका घाटा भी अधिक हो सकता है। इस बड़े घाटे से गवाँई हुई रकम फिर से पाने केलिए भविष्य में बडी कमाई की आवश्यकता होती है।

3. जोखिम के नियमन केलिए 2% का नियम (2% Rule of Risk Management):

दुनियाभर में जोखिम के नियमन केलिए उपलब्ध नियमों में से 2% का नियम प्रसिद्ध है। इस सिद्धांत के अनुसार हर किसी व्यवहार में निवेश की कुल रकम के २% से अधिक का घाटा नहीं होना चाहिए।

आदर्श स्थिति में ब्रोकरेज की किमत और सरकारी करों का भी इसमें समावेश होना चाहिए। परंतु आदर्श परिस्थिति में उन सभी का उसमें समावेश करना मुमकिन नहीं होता।

इस तरह से 2% का नियम निवेशकों का घाटा मर्यादित करके उनकी पूँजी का जतन करने केलिए तैयार किया गया है।

इस नियम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर निवेशक एक ही दिन में कई (4-5 बार) गलतियाँ करे फिर भी वह अपने निवेश का जादातर हिस्सा नहीं गवाँते। इस वजह से उन्हें धक्का नही लगता और वह दुसरे दिन फिर से ट्रेडिंग करके अपना घाटा बराबर कर सकते है।

4. मार्जिन ट्रेडिंग करते समय अधिक लिवरेज का लाभ लेना टालिए (Avoid Excessive Leverage while Margin Trading):

शेअर्स खरीदने की आपकी शक्ति में बढोतरी करने केलिए मार्जिन का उपयोग करना आजकल डे ट्रेडिंग करनेवालो में स्वीकार्य बनी हुई और सामान्यरूप से व्यवहार में अमल में लानेवाली कार्यपद्धती है। परंतु इस मार्जिन ट्रेडिंग से संबंधित जोखिम का भी आपको अंदाजा होना चाहिए।

मार्जिन के माध्यम से लिवरेज का अधिक उपयोग करना भी एक जोखिम का ही हिस्सा है। इसलिए अगर आप डे ट्रेडिंग नए सिरे से शुरू कर रहे हो तो लिवरेज का अधिक उपयोग करना आपके लिए अधिक जोखिम भरा हो सकता है।

कामयाब ट्रेडिंग के लिए (रिस्क-कंट्रोल) रिस्क-कंट्रोल में रखना बहुत महत्वपूर्ण है। जोखिम पर नियंत्रण न करने से बड़े बड़े अनुभवी शेअर बाजार में बह गए है ऐसा दिखाई पडता है। ट्रेडिंग में अधिक समय तक जमे रहने केलिए जोखिम का नियंत्रण करना आवश्यक है।

नोट (Note):

क्लायंट का वॉल्यूम और अन्य कई पहलुओं के आधिन होकर ब्रोकर सामान्य रूप से निवेशक को पाँच से सात गुना एक्सपोजर लिमीट देते है।

नीचे दिए उदाहरण में मार्जिन ट्रेडिंग के साथ होनेवाले जोखिम का अंदाजा दिया गया है।

उदा. 1. मार्जिन के बिना ट्रेडिंग (Trading without Margin):

आपके पास की पूँजी – रू.10000 ट्रेडिंग की रकम रू.10000 रू.100 के भाव से 100 शेअर्स खरीद के रू.98 का स्टॉप लॉस रखे हुए ट्रेडिंग में ज्यादा से ज्यादा संभावित घाटा रू.200 (100×2) का हो सकता हैं।

उदा. 2. मार्जिन पर किया हुआ ट्रेडिंग (Trading on Margin):

आपके पास की पूँजी – रू.10000

ट्रेडिंग की रकम – रू.50000 (5 गुना एक्सपोजर लिमीट)

आपने 100 शेअर्स के बदले 500 शेअर्स खरीदे। जिन शेअर्स की किमत रू.100 है। उनकी खरीददारी करते समय रू.98 का स्टॉप लॉस रखा तो इस ट्रेडिंग में ज्यादा से ज्यादा घाटा रू. 1000 (500 x 2 ) का होगा।

इस तरह मार्जिन ट्रेडिंग करने से आप अपना फायदा या नुकसान बड़ा सकते है। अगर आप बाजार में नए हो तो मार्जिन ट्रेडिंग करना टाल दीजिए ।

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