एक डे ट्रेडर के रूप में सफल होने केलिए आवश्यक हर गुण आप में होने पर भी आप कामयाब होगे ऐसा मत समझिए। डे ट्रेडिंग केलिए सही शेअर्स का चुनाव करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। परंतु इस बारे में जादातर डे ट्रेडर असफल हुए है ऐसा नजर आता है क्योंकि डे ट्रेडिंग करने केलिए वह सहीं शेअर्स का चुनाव नहीं करते है।
डे ट्रेडिंग करने के लिए सही शेअर्स का चुनाव कैसे करना चाहिए इसकी चर्चा हम इस पाठ में करनेवाले है। इन नियमों का तुरंत अध्ययन करना आवश्यक है। इसलिए डे ट्रेडिंग में होनेवाले नुकसान से आप बच सकते हैं। उनमें से कुछ नियम निचे दिए है।
- ज्यादा वॉल्युम वाले लिक्विड स्टॉक में ही डे ट्रेडिंग कीजिए।
- जिन शेअर्स के बारे में कुछ अंदाजा नहीं लगाया जा सकता उन शेअर्स में डे ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए।
- एक-दुसरे के साथ अच्छी तरह से कोरिलेशन वाले शेअर्स में ही ट्रेडिंग कीजिए।
- बाजार की चाल के साथ चाल मिलाकर ही आगे बढिए।
- शेअर्स का चुनाव करने से पहले उनका पूरी तरह से संशोधन कीजिए।
1. लिक्विड स्टॉक में ही ट्रेडिंग कीजिए (Trade Liquid Stocks):
बार बार ऐसा कहा जाता है कि बाजार में लिक्विडीटी होना ट्रेडर केलिए ऑक्सिजन होने के बराबर है। बाजार में लिक्विडीटी ना हो तो आपका अस्तित्व भी नहीं होता है। इसलिए जिन शेअर्स में लिक्विडिटी हो उन शेअर्स का ही डे टेडिंग केलिए चुनाव कीजिए। जिन शेअर्स का बाजार में लेन-देन का प्रमाण अधिक होता है उन शेअर्स को लिक्विड शेअर्स कहके पहचाना जाता है। इस प्रकार के शेअर्स के ट्रेडिंग का बाजार के भाव पर बहुत प्रभाव होता है।
इस प्रकार की लिक्विडिटी धारण करने वाले शेअर्स में ही ट्रेडिंग करने की सलाह दी जाती है। जिन शेअर्स की लिक्विडिटी कम हो ऐसे शेअर्स का ट्रेडिंग करने केलिए चुनाव करने पर ट्रेडिंग करनेवाले का जोखिम अधिक बढ़ता है। ऐसे शेअर्स को इललिक्विड कहा जाता है। मगर कुछ ट्रेडर्स ऐसे इललिक्विड शेअर्स में ट्रेडिंग करते है। क्योंकि कम लिक्विडिटी वाले शेअर्स का भाव एकदम से बदलकर बढ़ सकता है। मगर इस प्रकार के शेअर्स के भाव में बदलाव इतनी तेजी से होता है कि डे ट्रेडर के ट्रेडिंग करने से पहले ही उसमें बहुत बड़ा बदलाव आता है। उसी तरह इन शेअर्स में डे ट्रेडिंग करने केलिए मिलनेवाले संख्याबद्ध मौके का फायदा लेने से पहले ही वह अपने हाथ से निकल जाते हैं ऐसा नजर आता है। इस के साथ ही डे ट्रेडर ने जिस भाव में शेअर्स खरीदे हैं वह भाव गिरकर निचे जाने का डर भी होता है।
लिक्विडिटी केलिए कोई खास नियम नहीं होते है। यह कुछ अंश में आपके ट्रेडिंग के गुणवत्ता पर निर्भर होती है। समझ लिजिए की आपने रू.५०,००० से रू.७५,००० तक के व्हॉल्यूम वाले शेअर्स के ट्रेडिंग केलिए ५० से १०० शेअर्स खरीदे तो उसमें खास कोई भी अडचन नहीं होती। अगर आपने डे ट्रेडिंग केलिए ५ से १५ हजार शेअर्स खरीदे तो ऐसे वक्त उसका व्हॉल्यूम लाखों शेअर्स का होना जरूरी है। इस तरह की लिक्विडिटी वाले कुछ शेअर्स रिलायन्स इंडस्ट्रिज, एसबीआय, ईन्फोसिस, ओएनजीसी आदी है।
2. जिन शेअर्स का भाव का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता उनका ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए (Avoid Unpredictable – Chaotic Stocks):
आम तौर पर ऐसा नजर आता है कि कम व्हॉल्यूम वाले शेअर्स के बारे में कुछ खास खबर आनेवाली हो तो उसके कारण ऐसे शेअर्स में होनेवाले उतार-चढ़ाव का कुछ निश्चित अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। कई बार महत्व का विज्ञापन (जैसे की बड़ा ऑर्डर मिलना, अच्छे रिझल्ट, खराब रिझल्ट, प्लांट बंद हुआ आदी) करके भी शेअर्स के भाव में बढ़त होगी या घटाव होगा इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। ऐसी परिस्थिति में उन शेअर्स का ट्रेडिंग करना टाल देना ही योग्य होता है। कई बार मिड कॅप और स्मॉल कॅप शेअर्स का जादातर हिस्सा और उनमें खासकर के एस (S), टीएस (Ts), और झेड (Z) ग्रुप में आनेवाले शेअर्स में बड़े पैमाने पर अनियमितता दिखाई देती है। डे ट्रेडिंग में इन शेअर्स का ट्रेडिंग करना टालिए। इन शेअर्स का व्हॉल्यूम भी बहुत ही कम होता है।
3. दुसरे शेअर्स के साथ कोरिलेशन वाले शेअर्स का ट्रेडिंग कीजिए (Trade Stocks with Good Correlation):
एक दुसरे के साथ अच्छी तरह से जुड़े हुए शेअर्स का डे ट्रेडिंग करने केलिए चुनाव कीजिए। इंडेक्स के साथ चढ़ने वाले या उतरने वाले साथ ही विशेष सेक्टर के परफॉरमन्स के साथ बढने वाले या घटने वाले शेअर्स का ही डे ट्रेडिंग के लिए चुनाव कीजिए। हर एक सेक्टर में दिखाई देनेवाले ट्रेन्ड के अनुसार जिस स्टॉक का परफॉरमन्स और कंपनी का परफारमन्स बढता है या घटता है उन शेअर्स में ही ट्रेडिंग कीजिए। क्योंकि उनके बारे में अच्छा अंदाजा लगाया जा सकता है। उसी तरह इन शेअर्स में होनेवाला उतार-चढाँव भी बहुत विश्वसनीय होता है। साथ ही बाजार में अगर कोई अच्छी या बुरी खबर आई और उसका प्रभाव कोई सेक्टर पर हुआ तो उसके कारण उस सेक्टर में आनेवाले परिवर्तन के अनुसार आप अपने शेअर्स के भाव में होनेवाला उतार- चढाँव ध्यान में रख सकते है।
4. बाजार के ट्रेन्ड के अनुसार चलिए (Move with the Trend) :
नदी के प्रवाह के साथ तैरना आसान होता है परंतु उसके विरूद्ध दिशा में तैरना बहुत जोखिमभरा और कठिन होता है “It is always easier to swim along the river rather than across it” डे ट्रेडिंग करते समय यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए।
बाजार में तेजी का माहौल होता है तब जिन शेअर्स या जिस सेक्टर के शेअर्स का भाव बढ़ रहा है उनमें ही डे ट्रेडिंग करनी चाहिए। बाजार में तेजी का माहौल हो तब जिस शेअर्स का भाव कम होने की संभावना होती है उन शेअर्स में ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार बाजार में मंदी का माहौल हो तब जिन शेअर्स का भाव घटने की संभावना होती है उन शेअर्स में ही ट्रेडिंग करनी चाहिए। मंदी के समय में जिन शेअर्स का भाव बढ़ा रहा हो उन शेअर्स में ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए।
5. संशोधन (Research):
डे ट्रेडिंग में कामयाब होने केलिए बहुत सारा रिसर्च करना जरूरी है। साधारन रूप से ऐसा नजर आता है कि डे ट्रेडर बहुत ही कम रिसर्च करते है।
सबसे पहले डे ट्रेडिंग केलिए आपकी शैली के अनुसार योग्य इंडेक्स को ढूंढकर अलग निकालिए। इस इंडेक्स में सेन्सेक्स को या निफ्टी को सामिल किया जा सकता है। उसी तरह आपका हित जिसमें है उस सेक्टर का भी चुनाव कीजिए। इसके बाद डें ट्रेडर को इस सेक्टर के साथ जुडी हुई उत्तम कंपनीयों के शेअर्स का लिस्ट बनाना चाहिए। डे ट्रेडर को एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जिन शेअर्स का उन्होने चुनाव किया है वह उस सेक्टर की प्रमुख कंपनीयाँ होनी चाहिए और उन शेअर्स का अच्छा व्हॉल्यूम होना चाहिए।
इस सेक्टर के शेअर्स का चुनाव करने के बाद इन शेअर्स का लगातार टेक्निकल अॅनालिसीस करना जरूरी है। टेक्निकल एनालिसिस की मदद से यह अंदाजा लगाया जा सकता है साथ ही आने वाले दिनों में उन शेअर्स का भाव बढेगा या घटेगा। यह शेअर्स ओव्हर बॉट है या ओव्हर सोल्ड है यह जानना भी आवश्यक है। आपको उसके व्हॉल्यूम में कुछ महत्व का परिवर्तन दिखता है या नहीं इसका अभ्यास भी करना जरूरी है।
इन कंपनीयों के फंडामेंटल्स का भी अभ्यास करना चाहिए। यह कंपनीयाँ उनका आर्थिक परिणाम कब जाहिर करती है वह जान लेने का प्रयास कीजिए।
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