TradingGuider https://www.tradingguider.com/ A to Z Knowledge of Trading Fri, 08 Dec 2023 18:06:54 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5 https://www.tradingguider.com/wp-content/uploads/2023/08/cropped-111-19-32x32.jpg TradingGuider https://www.tradingguider.com/ 32 32 टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है | Technical Analysis in Hindi https://www.tradingguider.com/technical-analysis-in-hindi/ https://www.tradingguider.com/technical-analysis-in-hindi/#respond Fri, 08 Dec 2023 18:06:53 +0000 https://www.tradingguider.com/?p=272 टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है (Technical Analysis in Hindi)- आप यह पाठ पढना शुरू करे इससे पहले हमें टेक्निकल एनालिसिस के बारे में एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात आपको बतानी है। सैकडों टेक्निकल निर्देश (इंन्डिकेटर) होते है। उनमें से लगभग सभी कभी ना कभी काम करते है परंतु उसमें से हर इंडीकेटर हमेशा काम नहीं […]

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टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है
टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है

टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है (Technical Analysis in Hindi)- आप यह पाठ पढना शुरू करे इससे पहले हमें टेक्निकल एनालिसिस के बारे में एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात आपको बतानी है।

सैकडों टेक्निकल निर्देश (इंन्डिकेटर) होते है। उनमें से लगभग सभी कभी ना कभी काम करते है परंतु उसमें से हर इंडीकेटर हमेशा काम नहीं करता है। हर एक इडींकेटर हमेशा काम करने लगा तो प्रत्येक खिलाडी उसका उपयोग करेगा और उससे संबंधित उसकी मुल प्रकिया ही बदल जाएगी। अलग अलग इंडिकेटर अलग अलग स्टॉक पर और अलग अलग समय पर काम करते है।

“There are hundreds of technical indicators. Almost all of them work some of the time, but none of them work all of the time. If they did, then everyone would use them, and the underlying pattern they predicted would change! Different indicators work on different stocks or even different industries and of different times.”

टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis):

पिछले कुछ सालों में टेक्निकल एनालिसिस की लोकप्रियता बढी है। जादा से जादा लोग ऐसा मानते है कि शेअर्स का भुतकाल का परफॉमर्स उसके भावी परफॉरमर्स का मजबुत निर्देश देता है।

टेक्निकल एनालिसिस बाजार में घटने वाली घटनाओं के आधार पर अथवा शेअर्स के भुतकाल के भाव और वॉल्युम का विश्लेषण करके शेअर्स का मुल्य निश्चित करने की एक प्रकिया है। टेक्निकल एनालिसिस की मदद से शेअर्स के अंतरिक भाव को ढूँढने की कोशिश नहीं की जाती। उसके बदले टेक्निकल एनालिसिस करने वाले शेअर्स के उतार चढाव की पुरानी प्रकिया अर्थात स्टॉक के चार्ट पर दिए गए निर्देश से भाव का अंदाजा लगाते है।

टेक्निकल एनालिसिस के तीन मूल सिध्दांत (Three Core Principles of Technical Analysis):

1. बाजार सब जानकारी दर्शाता है। (Markets Reflect Everything):

वास्तविक भाव के उतार चढाव पर परिणाम करनेवाली सभी बातों की बाजार को जो जानकारी है और उन बातों को दर्शाने का काम बाजार का वर्तमान भाव करता है। उनमें शेअर्स की डिमांड और सप्लाय, साथ ही राजकीय परिबल और मार्केट के सेंटीमेंट की जानकारी, जैसी सभी बातों को शामिल किया जाता है।

2. ट्रेंड के अनुसार भाव में बढत या गिरावट होता है (Prices Move in Trends):

मार्केट के ट्रेंड पर से ही शेअर्स के ट्रेंड का अदांजा निकाला जा सकता है। डे ट्रेंडीग में सफलता के लिए इस विचार का अनुकरण करना जरूरी है। भाव मुख्य रूप से तीन दिशा में जा सकता है। भाव बढ सकता है या घट सकता है या फिर स्थिर रह सकता है।

ट्रेंड की पहचान करना बहुत ही आसान बात है। चार्ट से साधारण रूप से बाजार के वर्तमान ट्रेंड का निर्देश मिलता है।

चार्ट के इस ऊंचे निचे विभाग में ही ट्रेंड का संकेत समाया होता है। जब भाव उपर जाता है तब बाजार के ट्रेंड तेजी की दिशा में जा रहा है ऐसा अंदाजा निकाला जाता है। उसी तरह से, जब भाव निचे की दिशा में जाता हो तो बाजार में मंदी का माहौल है ऐसा माना जाता है। भाव एक ही जगह पर स्थिर रहकर दोनों दिशा में बढता हो तो बाजार की स्थिति मजबुत है ऐसा माना जाता है।

3. इतिहास का पुनरागमन होते रहता है (History Tends to Repeat Itself):

टेक्निकल एनालिसिस के बारे में देखा जाए तो शेअर्स के भाव पर परिणाम करनेवाली ट्रेडर्स की मानसिकता बहुत ही महत्वपुर्ण परिबल है। मानव का स्वभाव पूनरावर्तन करने का होता है। इस परिणाम से शेअर्स का भाव पैहले जैसा जाते हुए दिखता है। इस पर से ऐसा अंदाजा निकाला जाता है कि इतिहास का पूनरावर्तन होता ही है।

इस परिणाम से ही डे ट्रेडींग करनेवालों के लिए टेक्निकल एनालिसिस से शेअर्स के भविष्य के भाव का अंदाजा हासिल करते है। टेक्निकल एनालिसिस द्वारा दी गई इस जानकारी का उपयोग करके ट्रेडर्स स्वयं के हिसाब से ट्रेडिंग करके फायदा कमाने का आयोजन कर सकते है।

टेक्निकल एनालिसिस के फायदे (Advantages of Technical Analysis):

1. शुध्द (प्योर) टेक्निकल एनालिसिस के विषय में स्पष्टीकरण करने के लिए बहुत कम समय लगता है। ऐसे टेक्निकल एनालिसिस की पूरी सिस्टम मेकॅनिकल बनी हुई होती है।

2. टेक्निकल एनालिसिस की मदद से ट्रेडर को या निवेशकों को उनके निवेश के निर्णय का विश्लेषण करने में मदद होती है। टेक्निकल एनालिसिस वास्तविक घटना के घटने से पहले ही उनके या कंपनीयों के फंडामेंटल का अंदाजा दर्शाते है।

3. टेक्निकल एनालिसिस के तमाम परिणाम और निर्देशकों की तुलना भूतकाल की स्थिति के साथ करके शेअर्स के भाव की दिशा निश्चित की जाती है।

4. कम किमत में बाजार में कंप्युटर उपलब्ध होने के कारण टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करना एकदम आसान हो गया है। आजकल टेक्निकल एनालिसिस के लिए और चार्ट तैयार करने के लिए संख्याबध्द सॉफ्टवेअर उपलब्ध है। वह आपको शेअर्स खरीदने या बेचने के लिए निर्देश देने में मददगार हो सकते है।

5. टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करके बाजार में ट्रेडिंग करना एक अनुशासित कार्य समझा जाता है क्योंकि उसमें स्टॉपलॉस थिअरि का उपयोग किया जाता है।

टेक्निकल एनालिसिस की मर्यादाए (Limitations of Technical Analysis):

1. टेक्निकल एनालिसिस एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है क्योंकि वह सिर्फ भाव की जानकारी के आधार पर ही भविष्य में आने वाले भाव का अभ्यास करते है। टेक्निकल एनालिसिस कितने काम करता है इसका पुनरावलोकन करने के लिए ट्रेडर को उसके ट्रेडिंग सिस्टम पर लगातार नजर रखनी पडती है।

2. टेक्निकल एनालिसिस सिखना आसान है। परतुं उसका उपयोग करना और उस पर प्रभूत्व हासिल करना कठिन है। जादातर ट्रेडर टेक्निकल एनालिसिस के लिए अलग अलग मार्ग का उपयोग करते है। इसी कारण आप स्वंय के ही विश्लेषण का ठिक तरह से फॉलोअप नहीं कर पते और आपका फायदा होते होते कई बार घाटा हो जाता है।

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What is Source of Information of Stock Market in Hindi  https://www.tradingguider.com/what-is-source-of-information-of-stock-market-in-hindi/ https://www.tradingguider.com/what-is-source-of-information-of-stock-market-in-hindi/#respond Fri, 08 Dec 2023 17:49:57 +0000 https://www.tradingguider.com/?p=268 What is Source of Information of Stock Market in Hindi – हर शेअर धारक को कंपनी के संबंध में और शेअर की कीमत के बारे में योग्य जानकारी रखनी चाहिए। उसके साथ ही शेअर की किमत पर परिणाम करनेवाले बाहरी घटको की जानकारी भी उसे होनी चाहिए। कंपनियों ने जाहिर किए डिविडन्ड, बोनस शेअर, राईट […]

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What is Source of Information of Stock Market in Hindi 
What is Source of Information of Stock Market in Hindi 

What is Source of Information of Stock Market in Hindi – हर शेअर धारक को कंपनी के संबंध में और शेअर की कीमत के बारे में योग्य जानकारी रखनी चाहिए। उसके साथ ही शेअर की किमत पर परिणाम करनेवाले बाहरी घटको की जानकारी भी उसे होनी चाहिए। कंपनियों ने जाहिर किए डिविडन्ड, बोनस शेअर, राईट ईश्यु, आदि और कंपनियों के शेअर्स में होने वाली ब्लॉक डिल के विषय में शेअर्स धारक अलग अलग मार्ग से जानकारी हासिल कर सकते है।

मीडीया (Media):

NDTV, PROFIT, CNBC, वगैरह टी.वी चैनल के द्वारा हम शेअर की किमत देख सकते है। हमें कंपनी के विषय में कुछ जानकारी हासिल करनी हो या उस पर अध्ययन करना हो तो उसके लिए हमें कंपनी के वार्षिक अहवाल की मदद लनी होती है। किसी भी कंपनी में होनेवाले व्यवहार और उनके विदेशी संबंध की जानकारी हम मीडीया के जरिए तुरंत हासिल कर सकते है।

अखबार (Daily News paper):

आजकल हर राज्य में अंग्रेजी और प्रादेशिक भाषा के अखबार प्रसिद्ध होते है। उसमें हर शेअर का बंद भाव और पिछले दिन उसमें हुई हलचल विस्तृत रूप से दी होती है। डीविडंन्ड, बैक, राईट ईश्यु, ब्लाक डील, इनके बारे में भी जानकारी होती है। ऐसी बहुतसी जानकारी The Economic Times, Mint, DNA Money जैसे अखबारों में प्रकाशित की जाती है।

शेअर बाजार से संबंधीत अखबार और किताबें (Stock Papers and Stock Magazines):

यह अखबार हर हफ्ते मुंबई और गुजरात से प्रकाशित होते है। यह सभी अखबार और किताबे कंपनी की जानकारी देते है। उनमें शेअर के भाव, PE Ratio, EPS, वगैरह की जानकारी प्रकाशित होती है।

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ग्लोबल मार्केट और भारतीय मार्केट का संबंध | Global Markets Correlation in Hindi https://www.tradingguider.com/global-markets-correlation-in-hindi/ https://www.tradingguider.com/global-markets-correlation-in-hindi/#respond Thu, 02 Nov 2023 10:51:42 +0000 https://www.tradingguider.com/?p=246 ग्लोबल मार्केट और भारतीय मार्केट का संबंध (Global Markets Correlation) ग्लोबल मार्केट और भारतीय मार्केट का संबंध- कंपनी द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय, उनके फायदे का आँकडा, सरकारी नितीयों में किया गया परिवर्तन, इन सभी का परिणाम आपके निवेश पर होता है। उसी तरह से विश्वभर के बाजार में घटनेवाली घटनाओं के कारण शेअर […]

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ग्लोबल मार्केट और भारतीय मार्केट का संबंध (Global Markets Correlation)

ग्लोबल मार्केट और भारतीय मार्केट का संबंध- कंपनी द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय, उनके फायदे का आँकडा, सरकारी नितीयों में किया गया परिवर्तन, इन सभी का परिणाम आपके निवेश पर होता है। उसी तरह से विश्वभर के बाजार में घटनेवाली घटनाओं के कारण शेअर बाजार में आपके निवेश पर प्रभाव होता है।

इसलिए शेअर बाजार में निवेश करनेवालो को विश्वभर के शेअर बाजार में होनेवाली घटनाओं पर भी ध्यान रखना जरूरी है। किसी देश के शेअर बाजार के इंन्डेक्स में होनेवाले उतार-चढाँव अन्य देशों के शेअर बाजार पर किस तरह से परिणाम करते है यह निवेशक को (खास करके डे ट्रेडर्स को) ध्यान में रखना चाहिए। इस टेक्निकल भाषा को ‘कोरिलेशन’ के नाम से जाना जाता है।

कोरिलेशन एक स्टॅटिस्टिकल गिनती है जो दो व्हेअरिएबल्स (दो शेअर्स अ दो इंन्डेक्स आदी) का एक दुसरे से कैसा संबंध है यह दिखाती है।

कोरिलेशन की व्हॅल्यू ‘-1′ अथवा ‘ +1’ हो सकती है। +1 को पॉजिटिव्ह कोरिलेशन के नाम से जाना जाता है। उदाहरण देकर बताना हो तो ‘ए’ इंन्डेक्स में आई हुई १० प्रतिशत की बढत या घटाव ‘बी’ इंन्डेक्स में भी 10 प्रतिशत की बढत या घटाव लाता है। इसी तरह से -1 को निगेटिव्ह कोरिलेशन के नाम से जाना जाता है। उदाहरण देकर बताना हो तो ‘ए’ इंन्डेक्स में 10 प्रतिशत का उतार आया तो उसके प्रभाव से ‘बी’ इन्डेक्स में भी 10 प्रतिशत का चढ़ाव आता है।

दुनियाभर के अलग अलग देशों के इन्डेक्स का इस तरह से कोरिलेशनशिप का विश्लेषण करने की आदत डे ट्रेडर को होनी चाहिए। ऐसे कोरिलेशन की मदद से बाजार कैसे खुलनेवाला है इसका अंदाजा डे ट्रेडर लगा सकते है।

महत्व (Importance) :

आज के युग में टेक्नॉलॉजी में बहुत ही सुधार हुआ है। इंटरनेट और टेलिविजन चैनल्स भी ट्रेडर केलिए जानकारी का भंडार लेकर खडे है। भारत में लाखों निवेशक विश्वभर के बाजार पर नजर रखते है। एशियाई देशों में निक्की, कोस्पि, हेन्गसेन्ग आदी इन्डेक्स का परफॉरमन्स कैसा है उस पर वह नजर रखते है। इसके लिए उन्हे सुबह थोडा जल्दी उठना पडता है। अमेरिका और यूरोप के शेअर बाजार की स्थिति कैसी है इसकी जानकारी केलिए उन्हें रात में देर तक जागकर नजर रखनी पडती है।

डे ट्रेडर को विश्वभर के बाजार की गतिविधीयों पर इसी तरह से नजर रखनी चाहिए। उसी तरह से पोजिशन ट्रेडर दिर्घ कालावधी केलिए निवेश करनेवालो को इस बाजार का ट्रॅक रखना आवश्यक है। अमरिका या युरोपिय देशों के बाजार प्लस में या मायनस में बंद हुए है, यह देखना जरूरी है। साथ ही एशियाई देशों के बाजार के मूड का अंदाजा लेना भी आवश्यक है। यह मूड तेजी की तरफ या मंदी की तरफ है यह जान लेना चाहिए।

ऐसा करने से अपना बाजार किस प्रकार से खुलनेवाला है इसका अंदाजा डे ट्रेडर निकाल सकते है। दिर्घकालीन निवेशक को इस कोरिलेशन के कारण अधिक चिंतीत होने की जरूरत नहीं है क्योंकि दिर्घ कालावधी में अर्थतंत्र के फंडामेंटल्स मार्केट की स्थिति निश्चित करते है ।

विश्वभर के बाजार का समय (Global Market Timings) :

निचे दिए तालिका में दुनियाभर के अलग अलग देशों के शेअर बाजार के खुलने का समय दिया है। इस बाजारों पर दुनियाँ के सबसे अधिक देशों के शेअर बाजार के निवेशकों की और खिलाडियों की नजर होती है।

Stock Exchange Country Opening Time (IST) Closing Time(IST)
Japan Exchange Group Japan 5:30 AM 11:30 AM
Australian Securities Exchange Australia 5:30 AM 11:30 AM
Korea Exchange South Korea 5:30 Am 11:30 AM
Taiwan Stock Exchange Taiwan 6:30 AM 11:00 Am
Hong Kong Stock Exchange Hong Kong 6:45 AM 1:30 PM
Shanghai Stock Exchange China 7:00 AM 12:30 PM
Shenzhen Stock Exchange China 7:00 AM 12:30 PM
Deutsche Borse Germany 12:30 PM 2:30 AM
JSE Limited South Africa 12:30 PM 8:30 PM
Euronext European Union 12:30 PM 9:00 PM
SIX Swiss Exchange Switzerland 1:30 PM 10:00 PM
BME Spanish Exchange Spain 1:30 PM 10:00 PM
London Stock Exchange UK and Italy 1:30 PM 10:00 PM
BM&F Bovespa Brazil 6:30 PM 1:30 AM
New York Stock Exchange USA 7:00 PM 1:30 AM
NASDAQ USA 7:00 PM 1:30 AM
TMX Group Canada 8:00 PM 2:30 AM

नोट (Note) :

उपर दिखाए गए देशों के बाजार के खुलने का समय यह भारतीय स्टॅन्डर्ड समय के अनुसार है।

ग्लोबल मार्केट और भारतीय मार्केट का कोरिलेशन (Global Market Correlation) :

पहले हमने देखा की भारतीय शेअर बाजार और विश्वभर के शेअर बाजार में संबंध है। यह संबंध कैसा और कितने प्रमाण में एकदुसरे पर प्रभाव करते है इसका अभ्यास करने केलिए हम विश्वभर के बाजार के उतार-चढ़ाव की भारतीय बाजार के उतार-चढाव से तुलना करनी चाहिए।

पछिले बारह महिनों में भारतीय इन्डेक्स के उतार-चढाव के साथ अन्य देशों के इन्डेक्स के उतार-चढाव की तुलना की गई है। इसकी लिस्ट आगे दिया है।

1. जापान का निक्की इंन्डेक्स और भारत का र्सेन्सेक्स (Nikkei . Japan V/S Sensex – India) :

निचे दी गई आकृती के अनुसार निक्की और सेंन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में निगेटिव्ह कोरिलेशनशिप नजर आती है।

जापान का निक्की इंन्डेक्स

जापान का निक्की इंन्डेक्स

2. दक्षिण कोरिया का कोस्पि इंन्डेक्स और भारत का सेन्सेक्स (Kospi – South Korea V/S Sensex India) :

निचे दी गई आकृती के अनुसार कोस्पि और सेंन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

दक्षिण कोरिया का कोस्पि इंन्डेक्स

दक्षिण कोरिया का कोस्पि इंन्डेक्स

3. हाँगकाँग का हेन्गसेन्ग और भारत का सैन्सेक्स (Hang Seng – Hong Kong V/S Sensex – India) :

निचे दी गई आकृती के अनुसार हेन्गसेन्ग और सेन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मजबूत कोरिलेशनशिप नजर आता है।

हाँगकाँग का हेन्गसेन्ग

हाँगकाँग का हेन्गसेन्ग

4. चीन का शांघाई कॉम्पोजिट और भारत का सेन्सेक्स (Shangai Composite – China V/S Sensex – India):

निचे दी गई आकृती के अनुसार शांघाई कॉम्पोजिट और सेंन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

चीन का शांघाई कॉम्पोजिट

चीन का शांघाई कॉम्पोजिट

5. एफसीएसई – फूट्सी (ब्रिटन) और भारत का र्सेन्सेक्स (FTSE – UK V/S Sensex – India) :

निचे दी गई आकृती के अनुसार एफसीएसई – फूट्सी और सेन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

एफसीएसई - फूट्सी (ब्रिटन)

एफसीएसई – फूट्सी (ब्रिटन)

6. फ्रान्स का सीएसी और भारत का र्सेन्सेक्स (CAC – France V/s Sensex – India):

निचे दी गई आकृती के अनुसार सीएसी (कॅक) और सेन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

फ्रान्स का सीएसी

फ्रान्स का सीएसी

7. जर्मनी का डीएएक्स और भारत का र्सेन्सेक्स (DAX – Germany V/S Sensex – India) :

निचे दी गई आकृती के अनुसार डीएएक्स और सेंन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

जर्मनी का डीएएक्स

जर्मनी का डीएएक्स

8. अमेरिका का डाऊजोन्स और भारत का सेंन्सेक्स (DJIA – Dow Jones (US) V/S Sensex – India):

निचे दी गई आकृती के अनुसार डाऊजोन्स और सेन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

अमेरिका का डाऊजोन्स

अमेरिका का डाऊजोन्स

9. अमेरिका का नेस्डेक और भारत का सेन्सेक्स (Nasdaq – US) V/S Sensex – India):

निचे दी गई आकृती के अनुसार नेस्डेक और सेंन्सेक्स में पिछले बारह महिनों की कालावधी में मॉडरेट (मर्यादित) कोरिलेशनशिप नजर आता है।

अमेरिका का नेस्डेक

अमेरिका का नेस्डेक

आश्चर्य की बात है कि पिछले बारह महिनों में अमेरिका के डाऊजोन्स और ब्रिटन के फूट्सी-एफटीएसई इंडेक्स के साथ भारतीय शेअर बाजार का कोरिलेशन बहुत ही कम है। विश्वभर के इन दो देशों में से ही भारतीय शेअर बाजार में विदेशी संस्थाकिय निवेशक और सामान्य विदेशी निवेशकों की मदद से जादा से जादा निवेश होता है।

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ट्रेडर अपने दिन की शुरूआत कैसे करें | How to start day trading https://www.tradingguider.com/how-to-start-day-to-day-trading/ https://www.tradingguider.com/how-to-start-day-to-day-trading/#respond Mon, 23 Oct 2023 12:29:56 +0000 https://www.tradingguider.com/?p=235 ट्रेडर अपने दिन की शुरूआत कैसे करें (How to Start Your Day) बहुत सालों पहले की बात नहीं है, जब ऐसा कहा जाता था कि दलाल के ऑफिस के अलावा निवेश की जानकारी मिलनेवाला एक मात्र साधन अखबार ही है। शेअर्स का कल का बंद भाव जानना हो तो भी सिर्फ अखबार पर ही निर्भर […]

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ट्रेडर अपने दिन की शुरूआत कैसे करें
ट्रेडर अपने दिन की शुरूआत कैसे करें

ट्रेडर अपने दिन की शुरूआत कैसे करें (How to Start Your Day)

बहुत सालों पहले की बात नहीं है, जब ऐसा कहा जाता था कि दलाल के ऑफिस के अलावा निवेश की जानकारी मिलनेवाला एक मात्र साधन अखबार ही है। शेअर्स का कल का बंद भाव जानना हो तो भी सिर्फ अखबार पर ही निर्भर रहना पडता था। वैसे ही आपके पास बहुत ही अच्छा अखबार हो तो स्क्रिप्ट का उतार-चढाँव, व्हॉल्यूम और कुछ नई बातों की जानकारी मिलती थी।

मगर अब यह सभी जानकारीयाँ लेने केलिए कई विकल्प बाजार में उपलब्ध है। उनमें से कुछ विकल्प निचे दिए गए है।

  • अखबार
  • केबल टीवी और अन्य प्रसार माध्यम
  • ईन्टरनेट पोर्टल और खबरों का लगातार आने वाला प्रवाह
  • ईन्टरनेट पर उपलब्ध जानकारी
  • चैट रूम, एसएमएस

जानकारी पाने के आधुनिक साधनों का उपयोग करने के लिए कीमत चुकानी पडती है। डे ट्रेडर की जरूरतों को ध्यान में लेकर ही इन साधनों को विकसित किया गया है। इन साधनों में निचे दिए हुए साधनों का समावेश होता है।

  • टेक्निकल अ‍ॅनालिसीस के साधन
  • डे ट्रेडिंग केलिए लगनेवाले बुलेटिन
  • डे ट्रेडिंग केलिए जरूरी चॅट रूम
  • एकत्रित जानकारी और ट्रेडिंग केलिए प्लॅटफार्म उपलब्ध कराने वाला माध्यम

डे ट्रेडिंग की शुरूआत करते समय उपर दिए गए साधनों के बारे में जादा सोचिए मत। आगे दी गई बातों को ध्यान में रखिए, वह आपके ट्रेडिंग दिन की शुरूआत करने की आदर्श स्थिति है। शेअर बाजार सुबह 9.15 बजे शुरू होता है परंतु आपको अपना काम सुबह 8:30 बजे से ही शुरू करना चाहिए।

1. अखबार में महत्व की खबरों पर से जल्द नजर घुमाईए। कई बार किसी विशेष खबर का बाजार के सेंटिमेंन्ट पर प्रभाव होता है। स्टॉक मार्केट की जानकारी देनेवाले पन्नों को ध्यान से पढिए। हो सके तो ईकोनॉमिक टाईम्स और मिन्ट जैसे व्यापारी अखबार भी पढ़ लीजिए ।

2. टिव्ही पर चालू वर्तमान खबरों पर विशेष ध्यान दीजिए क्योंकि कई बार मार्केट के सेंटिमेंन्ट पर उनका भी बडा प्रभाव होता है।

3. अमेरिका और एशिया के शेअर बाजार के इंन्डेक्स का भी अभ्यास किजिए।

इन सबका अभ्यास करने से अपने देश का बाजार किस प्रकार खुलेगा इसका आपको अच्छी तरह से अंदाजा मिलेगा।

इन सभी बातों का अभ्यास करने के बाद बाजार की संभावित स्थिति कैसी होगी इसका आपको बराबर अंदाजा होगा। उसी तरह से चार्ट पर भी एक नजर घुमाईए। आज के दिन में बाजार में कौन से शेअर्स का भाव बढ़ेगा और कौन से शेअर्स का भाव कम होगा इसका अच्छी तरह निष्कर्ष निकालिए। इन सभी स्क्रिप्ट का चार्ट देखिए और वह कितने उपर जा सकते है और कितने निचे आ सकते है इसका भी अभ्यास कीजिए।

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Intraday Trading Tips in Hindi | इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय सावधानियां https://www.tradingguider.com/intraday-trading-tips-in-hindi/ https://www.tradingguider.com/intraday-trading-tips-in-hindi/#respond Sun, 22 Oct 2023 17:28:54 +0000 https://www.tradingguider.com/?p=227 Intraday Trading Tips in Hindi: इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय सावधानियां डे ट्रेडिंग में आपको नीचे दर्शाई गई बातों से दूर रहना चाहिए और वैसा करना बुरा समझना चाहिए। बॉटम फिशिंग और टॉप फिशिंग से दूर रहना चाहिए (Avoid Bottom Fishing & Top Fishing): तेजी के बाजार में जब तीव्र करेक्शन आता है तब ट्रेडर्स बॉटम […]

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Intraday Trading Tips in Hindi
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Intraday Trading Tips in Hindi: इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय सावधानियां

डे ट्रेडिंग में आपको नीचे दर्शाई गई बातों से दूर रहना चाहिए और वैसा करना बुरा समझना चाहिए।

बॉटम फिशिंग और टॉप फिशिंग से दूर रहना चाहिए (Avoid Bottom Fishing & Top Fishing):

तेजी के बाजार में जब तीव्र करेक्शन आता है तब ट्रेडर्स बॉटम फिशिंग स्ट्रॅटेजी का उपयोग करते है। बॉटम फिशिंग स्ट्रॅटेजी का उपयोग करनेवाले ट्रेडर्स जीन शेअर्स के भाव अन्डर व्हॅल्यूड याने की जो शेअर्स के भाव बहुत निचे गिरे है उन शेअर्स को ढुंडकर खरीदते है। कई बार कंपनी की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण डर का माहौल तैयार होता है और इसलिए उनके शेअर्स का भाव उनके फंडामेंटल से भी बहुत निचे आ जाता है और स्थिति सामान्य होने पर कंपनी के शेअर्स का भाव बढता है। बॉटम फिशिंग स्ट्रॅटेजी का उपयोग करनेवाले निवेशकों को इसका फायदा होता है।

उदाहरण देकर बताना हो तो पिछले हफ्ते में जिन शेअर्स का भाव रू. 200 था वह अब रू. 75 है । वह भाव कंपनी के आर्थिक परफॉरमन्स से कम माना जाता है। यह भाव कम होने की बात शायद सच हो सकती है। दिर्घ समय केलिए शायद वह अच्छी कमाई भी दे सकते हो परंतु डे ट्रेडर का उद्देश्य आज के दिन में ही कमाई करने का होता है। उसमें निवेश लम्बे समय के मूल्यों का विश्लेषण करने केलिए नहीं होता। डे ट्रेडर को एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि शेअर्स का वर्तमान भाव उसकी आज की डिमांड और सप्लाय का प्रतिनिधीत्व करता है। एक ही बात डे ट्रेडर के ध्यान में रखनी चाहिए कि आज के दिन में ही कमाई करनी होती है, कल या आनेवाले दिनों में नहीं । शेअर्स के भूतकाल के भाव को ध्यान में न रखकर उसका आज का भाव और उसमें होनेवाले उतार-चढाँव को ध्यान में रखकर उसमें डे ट्रेडिंग करना चाहिए।

मंदी के बाजार में जब शार्प पूलबॅक आता है तब ट्रेडर्स टॉप फिशिंग स्ट्रॅटेजी का उपयोग करते है। टॉप फिशिंग स्ट्रॅटेजी का उपयोग करनेवाले ट्रेडर्स जिन शेअर्स का भाव ओव्हर व्हॅल्यूड थाने की जिन शेअर्स का भाव बहुत बढा हुआ हैं ऐसे शेअर्स को ढुंडकर उन्हें बेच देते है (शॉर्ट सेलिंग)।

कई बार कंपनी के विषय में कोई अच्छी खबर आने के कारण कंपनी के शेअर्स का भाव उसकी आर्थिक परिस्थिति से कई जादा बढ़ता है और बाद में कंपनी के शेअर्स का भाव घटता है तब टॉप फिशिंग स्ट्रॅटेजी का उपयोग करनेवालो को उसका फायदा होता है।

उदाहरण देकर बताना हो तो पिछले हफ्ते एक शेअर्स का भाव यह रू.80 था वह अब रू.300 है। वह बहुत ही महँगे हैं और कुछ समय के बाद उसका भाव गिरकर कम हो सकता है परंतु डे ट्रेडर्स का उद्देश्य आज के दिन में ही कमाई करने का होता है न की अगले कुछ दिनों या हफ्तों में।

बॉटम और टॉप फिशिंग सुनने और पढ़ने में अच्छा लगता है परंतु डे ट्रेडर ने तेजी के बाजार में तेजी का ही व्यापार करना चाहिए और मंदी के बाजार में मंदी का ही व्यापार करना चाहिए (शॉर्ट पोजिशन ही लेनी चाहिए)। सफल हुए डे ट्रेडर जादा भाव से खरीदने में और उससे भी जादा भाव से बेचने में होशियार होते है। उसी तरह से कम भाव से बेचने में और उससे भी कम भाव से खरीदने में भी वह होशियार होते है।

बाजार स्वयं की दिशा बदलने केलिए आपके अभिप्राय की राह देखते नहीं बैठता। बाजार किस दिशा में जानेवाला है इसका निर्देश वह हमेशा आपको देता है या फिर वैसा माहौल बनाता है। बाजार की वर्तमान गती कहाँ पर जाकर रुकेगी इसका तर्क वितर्क करते मत बैठिए। क्योंकि कईबार डे ट्रेडर स्ट्रॉंग स्क्रिप्ट खरीदने में और वीक (कमजोर) स्क्रिप्ट बेचने में असमर्थ होता है।

एवरेजिंग करना टालिए (Avoid Averaging Down):

जिन शेअर्स का भाव लगातार घटते जा रहा है ऐसे शेअर्स की नई नई खरीदी करके अपनी खरीदी किमत को निचे लाने के प्रयास को एवरेजिंग डाऊन कहते है। शुरूआत में आपने कुछ खरीदी की हो तो उसके बाद की हर खरीदी कम करके उसके ॲवरेज प्राईज को निचे लाने का प्रयास मत कीजिए।

एक डे ट्रेडर के रूप में आपको कभी भी एवरेजिंग नहीं करनी चाहिए। एक बात ध्यान में रखिए कि बाजार की चाल के साथ ही आपको ट्रेडिंग करनी चाहिए। बाजार की चाल के विरूद्ध जाकर ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए। आपके एवरेज प्राईज को निचे लाने का प्रयास करके आप बाजार के वर्तमान प्रवाह के विरूद्ध जाकर ट्रेडिंग करने का प्रयास कर रहे हो। ऐसा विचार करके कि बाजार का वर्तमान प्रवाह कुछ देर बाद बदलेगा और उसमें से हमें फायदा होगा ऐसा भी कभी मत सोचिए ।

एक बात हमेशा ध्यान में रखिए की जब आप अपने शेअर्स की एवरेज प्राईज निचे लाते है तब किसी छोटे नुकसान को एक बड़े नुकसान में बदलते है। उस से आपका बहुत बडा घाटा हो सकता है।

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Intraday Stock Selection Kaise Kare
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एक डे ट्रेडर के रूप में सफल होने केलिए आवश्यक हर गुण आप में होने पर भी आप कामयाब होगे ऐसा मत समझिए। डे ट्रेडिंग केलिए सही शेअर्स का चुनाव करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। परंतु इस बारे में जादातर डे ट्रेडर असफल हुए है ऐसा नजर आता है क्योंकि डे ट्रेडिंग करने केलिए वह सहीं शेअर्स का चुनाव नहीं करते है।

डे ट्रेडिंग करने के लिए सही शेअर्स का चुनाव कैसे करना चाहिए इसकी चर्चा हम इस पाठ में करनेवाले है। इन नियमों का तुरंत अध्ययन करना आवश्यक है। इसलिए डे ट्रेडिंग में होनेवाले नुकसान से आप बच सकते हैं। उनमें से कुछ नियम निचे दिए है।

  • ज्यादा वॉल्युम वाले लिक्विड स्टॉक में ही डे ट्रेडिंग कीजिए।
  • जिन शेअर्स के बारे में कुछ अंदाजा नहीं लगाया जा सकता उन शेअर्स में डे ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए।
  • एक-दुसरे के साथ अच्छी तरह से कोरिलेशन वाले शेअर्स में ही ट्रेडिंग कीजिए।
  • बाजार की चाल के साथ चाल मिलाकर ही आगे बढिए।
  • शेअर्स का चुनाव करने से पहले उनका पूरी तरह से संशोधन कीजिए।

1. लिक्विड स्टॉक में ही ट्रेडिंग कीजिए (Trade Liquid Stocks):

बार बार ऐसा कहा जाता है कि बाजार में लिक्विडीटी होना ट्रेडर केलिए ऑक्सिजन होने के बराबर है। बाजार में लिक्विडीटी ना हो तो आपका अस्तित्व भी नहीं होता है। इसलिए जिन शेअर्स में लिक्विडिटी हो उन शेअर्स का ही डे टेडिंग केलिए चुनाव कीजिए। जिन शेअर्स का बाजार में लेन-देन का प्रमाण अधिक होता है उन शेअर्स को लिक्विड शेअर्स कहके पहचाना जाता है। इस प्रकार के शेअर्स के ट्रेडिंग का बाजार के भाव पर बहुत प्रभाव होता है।

इस प्रकार की लिक्विडिटी धारण करने वाले शेअर्स में ही ट्रेडिंग करने की सलाह दी जाती है। जिन शेअर्स की लिक्विडिटी कम हो ऐसे शेअर्स का ट्रेडिंग करने केलिए चुनाव करने पर ट्रेडिंग करनेवाले का जोखिम अधिक बढ़ता है। ऐसे शेअर्स को इललिक्विड कहा जाता है। मगर कुछ ट्रेडर्स ऐसे इललिक्विड शेअर्स में ट्रेडिंग करते है। क्योंकि कम लिक्विडिटी वाले शेअर्स का भाव एकदम से बदलकर बढ़ सकता है। मगर इस प्रकार के शेअर्स के भाव में बदलाव इतनी तेजी से होता है कि डे ट्रेडर के ट्रेडिंग करने से पहले ही उसमें बहुत बड़ा बदलाव आता है। उसी तरह इन शेअर्स में डे ट्रेडिंग करने केलिए मिलनेवाले संख्याबद्ध मौके का फायदा लेने से पहले ही वह अपने हाथ से निकल जाते हैं ऐसा नजर आता है। इस के साथ ही डे ट्रेडर ने जिस भाव में शेअर्स खरीदे हैं वह भाव गिरकर निचे जाने का डर भी होता है।

लिक्विडिटी केलिए कोई खास नियम नहीं होते है। यह कुछ अंश में आपके ट्रेडिंग के गुणवत्ता पर निर्भर होती है। समझ लिजिए की आपने रू.५०,००० से रू.७५,००० तक के व्हॉल्यूम वाले शेअर्स के ट्रेडिंग केलिए ५० से १०० शेअर्स खरीदे तो उसमें खास कोई भी अडचन नहीं होती। अगर आपने डे ट्रेडिंग केलिए ५ से १५ हजार शेअर्स खरीदे तो ऐसे वक्त उसका व्हॉल्यूम लाखों शेअर्स का होना जरूरी है। इस तरह की लिक्विडिटी वाले कुछ शेअर्स रिलायन्स इंडस्ट्रिज, एसबीआय, ईन्फोसिस, ओएनजीसी आदी है।

2. जिन शेअर्स का भाव का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता उनका ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए (Avoid Unpredictable – Chaotic Stocks):

आम तौर पर ऐसा नजर आता है कि कम व्हॉल्यूम वाले शेअर्स के बारे में कुछ खास खबर आनेवाली हो तो उसके कारण ऐसे शेअर्स में होनेवाले उतार-चढ़ाव का कुछ निश्चित अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। कई बार महत्व का विज्ञापन (जैसे की बड़ा ऑर्डर मिलना, अच्छे रिझल्ट, खराब रिझल्ट, प्लांट बंद हुआ आदी) करके भी शेअर्स के भाव में बढ़त होगी या घटाव होगा इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। ऐसी परिस्थिति में उन शेअर्स का ट्रेडिंग करना टाल देना ही योग्य होता है। कई बार मिड कॅप और स्मॉल कॅप शेअर्स का जादातर हिस्सा और उनमें खासकर के एस (S), टीएस (Ts), और झेड (Z) ग्रुप में आनेवाले शेअर्स में बड़े पैमाने पर अनियमितता दिखाई देती है। डे ट्रेडिंग में इन शेअर्स का ट्रेडिंग करना टालिए। इन शेअर्स का व्हॉल्यूम भी बहुत ही कम होता है।

3. दुसरे शेअर्स के साथ कोरिलेशन वाले शेअर्स का ट्रेडिंग कीजिए (Trade Stocks with Good Correlation):

एक दुसरे के साथ अच्छी तरह से जुड़े हुए शेअर्स का डे ट्रेडिंग करने केलिए चुनाव कीजिए। इंडेक्स के साथ चढ़ने वाले या उतरने वाले साथ ही विशेष सेक्टर के परफॉरमन्स के साथ बढने वाले या घटने वाले शेअर्स का ही डे ट्रेडिंग के लिए चुनाव कीजिए। हर एक सेक्टर में दिखाई देनेवाले ट्रेन्ड के अनुसार जिस स्टॉक का परफॉरमन्स और कंपनी का परफारमन्स बढता है या घटता है उन शेअर्स में ही ट्रेडिंग कीजिए। क्योंकि उनके बारे में अच्छा अंदाजा लगाया जा सकता है। उसी तरह इन शेअर्स में होनेवाला उतार-चढाँव भी बहुत विश्वसनीय होता है। साथ ही बाजार में अगर कोई अच्छी या बुरी खबर आई और उसका प्रभाव कोई सेक्टर पर हुआ तो उसके कारण उस सेक्टर में आनेवाले परिवर्तन के अनुसार आप अपने शेअर्स के भाव में होनेवाला उतार- चढाँव ध्यान में रख सकते है।

4. बाजार के ट्रेन्ड के अनुसार चलिए (Move with the Trend) :

नदी के प्रवाह के साथ तैरना आसान होता है परंतु उसके विरूद्ध दिशा में तैरना बहुत जोखिमभरा और कठिन होता है “It is always easier to swim along the river rather than across it” डे ट्रेडिंग करते समय यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए।

बाजार में तेजी का माहौल होता है तब जिन शेअर्स या जिस सेक्टर के शेअर्स का भाव बढ़ रहा है उनमें ही डे ट्रेडिंग करनी चाहिए। बाजार में तेजी का माहौल हो तब जिस शेअर्स का भाव कम होने की संभावना होती है उन शेअर्स में ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार बाजार में मंदी का माहौल हो तब जिन शेअर्स का भाव घटने की संभावना होती है उन शेअर्स में ही ट्रेडिंग करनी चाहिए। मंदी के समय में जिन शेअर्स का भाव बढ़ा रहा हो उन शेअर्स में ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए।

5. संशोधन (Research):

डे ट्रेडिंग में कामयाब होने केलिए बहुत सारा रिसर्च करना जरूरी है। साधारन रूप से ऐसा नजर आता है कि डे ट्रेडर बहुत ही कम रिसर्च करते है।

सबसे पहले डे ट्रेडिंग केलिए आपकी शैली के अनुसार योग्य इंडेक्स को ढूंढकर अलग निकालिए। इस इंडेक्स में सेन्सेक्स को या निफ्टी को सामिल किया जा सकता है। उसी तरह आपका हित जिसमें है उस सेक्टर का भी चुनाव कीजिए। इसके बाद डें ट्रेडर को इस सेक्टर के साथ जुडी हुई उत्तम कंपनीयों के शेअर्स का लिस्ट बनाना चाहिए। डे ट्रेडर को एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जिन शेअर्स का उन्होने चुनाव किया है वह उस सेक्टर की प्रमुख कंपनीयाँ होनी चाहिए और उन शेअर्स का अच्छा व्हॉल्यूम होना चाहिए।

इस सेक्टर के शेअर्स का चुनाव करने के बाद इन शेअर्स का लगातार टेक्निकल अॅनालिसीस करना जरूरी है। टेक्निकल एनालिसिस की मदद से यह अंदाजा लगाया जा सकता है साथ ही आने वाले दिनों में उन शेअर्स का भाव बढेगा या घटेगा। यह शेअर्स ओव्हर बॉट है या ओव्हर सोल्ड है यह जानना भी आवश्यक है। आपको उसके व्हॉल्यूम में कुछ महत्व का परिवर्तन दिखता है या नहीं इसका अभ्यास भी करना जरूरी है।

इन कंपनीयों के फंडामेंटल्स का भी अभ्यास करना चाहिए। यह कंपनीयाँ उनका आर्थिक परिणाम कब जाहिर करती है वह जान लेने का प्रयास कीजिए।

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Trading is a Mind Game in Hindi: Controlling Fear https://www.tradingguider.com/trading-is-a-mind-game-in-hindi/ https://www.tradingguider.com/trading-is-a-mind-game-in-hindi/#respond Sat, 21 Oct 2023 13:04:08 +0000 https://www.tradingguider.com/?p=222 Trading is a Mind Game in Hindi Trading is a Mind Game in Hindi- डे ट्रेडर के पास ट्रेडिंग करने केलिए ट्रेडिंग सिस्टम और सभी टुल्स उपलब्ध होने चाहिए। उसी तरह डे ट्रेडर के पास योग्य मानसिक और भावनात्मक दृष्टीकोन भी होना चाहिए। योग्य मानसिक दृष्टीकोन न होने के कारण निर्णय करने में जल्दबाजी करने […]

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Trading is a Mind Game in Hindi

Trading is a Mind Game in Hindi- डे ट्रेडर के पास ट्रेडिंग करने केलिए ट्रेडिंग सिस्टम और सभी टुल्स उपलब्ध होने चाहिए। उसी तरह डे ट्रेडर के पास योग्य मानसिक और भावनात्मक दृष्टीकोन भी होना चाहिए। योग्य मानसिक दृष्टीकोन न होने के कारण निर्णय करने में जल्दबाजी करने से आपके ट्रेडिंग पर उसका बहुत बडा और विपरीत परिणाम हो सकता है और आपको बहुत बडा नुकसान होने का जोखिम होता है।

बाजार में हिस्सा लेनेवाले सभी खिलाडी याने की संस्थाकिय मॅनेजर्स, शेअर दलाल, निवेशक और ट्रेडर पर डर और लालच जैसी भावनाओं का प्रभाव होता है।

आपको स्वयं ऐसा निश्चित करना चाहिए कि डर और लालच मेरे ट्रेडिंग के रास्ते में कभी भी नहीं आएंगे। परंतु आप यकिन करें या नहीं, इन भावनाओं का आपके ट्रेडिंग पर परिणाम होता ही है। आपको उससे शरमिंदा होने की कोई जरूरत नहीं है। मगर जो कुछ भी है आपको स्विकार करना चाहिए और उस पर ठिक तरह से नियंत्रण रखने का प्रयत्न करना चाहिए तब ही आप एक सफल डे ट्रेडर हो सकते है।

स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के माहौल में लालच और डर कैसे हालात तैयार करते है यह जानने का हम प्रयत्न करते है।

डर पर अंकुश रखना (Control Your Fear) :

डर एक ऐसी भावना है जो हमें बहुत ही जोखिम भरा व्यवहार करने से रोकती है। एक योग्य प्रमाण में डर की भावना होना जरूरी है मगर वही भावना अपनी मर्यादा के बाहर जाती है तब हमें आवश्यक कार्य करने से भी रोक सकती है। मुझे नुकसान होगा यही डर डे ट्रेडर के मन में हमेशा होता है। एक अंग्रेजी कहावत ध्यान में रखिए की ‘स्कॅअर्ड मनी नेव्हर विन्स’ “Scared Money never wins!” अर्थात डरकर आप शेअर बाजार में कभी भी कमाई नहीं कर सकते है।

अगर आपको किसी एक या दुसरे कारण से गवाँने का डर लगता हो तो आप सिर्फ नुकसान पर ही ध्यान केंद्रीत करके बैठते है। नुकसान न होने के विचार में बैठकर ही आप खुद का नुकसान करते है।

इस डर के कारण ही डे ट्रेडर अपना फायदा घटाकर नुकसान को बढाते है। ट्रेडिंग में फायदा होता हो तो भी वह फायदा हाथ से निकल न जाए इस डर से उस पोजिशन को वैसे ही न रखकर उसे बंद कर देते है।

अगर आपने कोई पोजिशन खडी की और वह पोजिशन आपके विरूद्ध जाती हो तो उसमें घाटा होने का डर होता है और नुकसान हो रहा है यह आप मानने केलिए तैयार नहीं होते है। इसी कारण आप अपनी पोजिशन को तुरंत बंद करके नुकसान का नियमन करने के बजाय वह पोजिशन वैसे ही रखते है और अपना नुकसान अधिक बढाते है।

एकदम खराब परिस्थिति में बताना हो तो अगर आपको घाटा ही सहना पड रहा हो तो उसके कारण पैदा हुआ डर आपको अगले ट्रेड में प्रवेश करने से भी रोक सकता है।

आपके मन का यह डर कम करने केलिए आप स्वयं अपने मन को एक बात समझाने का प्रयत्न कीजिए की डे ट्रेडिंग में आपने जो कुछ भी निवेश किया है वह सब आप गवाँ सकते है।

इस कारण से हम लोगों को पहले से ही बता देते है कि जितना घाटा आप सह सकते है उतने ही रूपए लेकर डे ट्रेडिंग में प्रवेश कीजिए ।

जब आप बिना डरे ट्रेडिंग करते है तब आपके सफल होने की गुंजाईश अधिक होती है क्योंकि उस वक्त आप किसी भी दबाव में आकर निर्णय नहीं लेते।

लालच को नियंत्रण में रखिए (Control Your Greed):

लालच डर के विरूद्ध भावना है। लालच के कारण हम ऐसे कुछ कार्य करते है जो हम साधारण रूप से कभी भी नहीं करते है। जिस तरह से कुछ प्रमाण में डर जरूरी है उसी तरह से कुछ प्रमाण में लालच होना भी उतना ही जरूरी है।

योग्य प्रमाण में लालच होगा तो उससे हमें अपना लक्ष्य सिद्ध करने केलिए प्रेरणा मिलती है। मगर जब लालच का प्रमाण बढता है तब हम ऐसे कार्य करने लगते है जो हम कभी नहीं करते है।

लालच का समाधान कभी भी नहीं हो सकता। आपको चाहे उतना फायदा मिलने पर भी अधिक फायदा कमाने की लालसा होती है।

डे ट्रेडिंग में लालच के आधिन होकर डे ट्रेडर बेपरवाह होकर ट्रेडिंग करते है या फिर उनके ट्रेडिंग सिस्टम ने निर्देशित समय से अधिक समय तक वह अपनी पोजिशन चालू रखते है। उदाहरण देकर बताना हो तो जब बाजार बहुत आगे बढा होता है तब ट्रेडिंग सिस्टम आपको ट्रेडिंग करने की अनुमती नहीं देता, तब भी आप ट्रेडिंग करते है। इसका अर्थ ऐसा होता है कि आप लालच के वश में है और ऐसी स्थिति में अपने लालच को नियंत्रित नहीं किया तो वह बार बार अपके ट्रेडिंग पर प्रभाव करता है। इसलिए शेअर्स का भाव जब सबसे अधिक होता है तब आप वह खरीदते है और इसके परिणाम से आपको फायदा होना तो दूर पर घाटा जरूर होता है।

निराश होना टालिए (Conquer Your Frustration):

डे ट्रेडर जब निराश होते है तब उनके सभी निर्णय गलत होते है। निराश होने से आपकी सोचने की शक्ति कम होती है। जो डे ट्रेडर हमेशा घाटा सहते है उनके दिल में निराशा पैदा होना आम बात है।

डे ट्रेडिंग अधिक तिव्र और शारीरिक एवं मानसिक दृष्टी से श्रम देनेवाली प्रवृत्ती है। डे ट्रेडिंग में बहुत बडी रकम दाँव पर होती है। इसलिए आपसे जरा भी गलती हुई तो आप आपनी पूरी रकम गवां सकते है। डे टेडिंग में घाटा होना एक आम बात है पर ट्रेडिंग में लगातार नुकसान हुआ तो डे ट्रेडर निराश हो जाते है।

आप अपनी निराशा पर नियंत्रण रखने के बाद ही एक डे टेडर के रूप में कामयाब हो सकते है।

पीछे मुडकर मत देखिए (Don’t Look Back):

पश्चाताप करते बैठना डे ट्रेडर के मन की एक जहरीली भावना है। कई बार यह भावना आपके मन पर अधिक परिणाम करती है ऐसा देखा गया है। किसी कारण से आप सही भाव से किसी भी शेअर्स में निवेश करने से चूक गए और आगे चलकर उस शेअर्स का भाव आप के हिसाब से बहुत ही बढ गया तो उसका आपको बहुत पश्चाताप होता है। बाजार में ट्रेडिंग करने केलिए कई मौके मिलते रहते है। इन मौकों में से कईयों का उपयोग करने में डे ट्रेडर असमर्थ होते है। इसलिए पश्चाताप करना बंद कीजिए। एक बात ध्यान में रखिए की बाजार में कमाई करने के कई मौके आते रहते है।

भूतकाल को याद करके पश्चाताप करने के बजाय वर्तमान परिस्थिति में क्या किया जा सकता है इसका विचार करके कमाई करने का आयोजन कीजिए। डे ट्रेडिंग में बहानेबाजी केलिए कोई जगह नहीं है।

आपने कोई शेअर्स बेच दिए और कुछ समय के बाद उनका भाव बहुत बढ गया तो आपको पश्चाताप होता है कि मैंने वह शेअर्स तुरंत क्यो बेच दिए। ऐसे मौके पर डे ट्रेडर बोलते है कि ‘हे भगवान! वह शेअर्स मैने क्यो बेच दिए? अगर मैं ले लेता तो.. वह .! आदि।

आप गवाए हुए मौके का पश्चाताप करने के बजाए ऐसा सोचिए की बाजार मुझे इस तरह के कई मौके उपलब्ध कराके देगा। इस तरह से मिलनेवाले हर मौके का हम फायदा नहीं उठा सकते। इस कारण हमारे हाथ से गए एक मौके का पश्चाताप करते बैठने का कोई अर्थ नहीं।

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इंट्राडे ट्रेडिंग करने का आदर्श तरीका | Ideal Intraday Trading Procedure in Hindi https://www.tradingguider.com/ideal-intraday-trading-procedure-in-hindi/ https://www.tradingguider.com/ideal-intraday-trading-procedure-in-hindi/#respond Fri, 20 Oct 2023 17:13:34 +0000 https://www.tradingguider.com/?p=212 इंट्राडे ट्रेडिंग करने का आदर्श तरीका (Ideal Intraday Trading Procedure in Hindi): आप किसी भी प्रकार के ट्रेडिंग का लेन देन करने से पूर्व, आगे दी गई जानकारी की मदद से आगे बढिए। 1: हर पोजिशन के लिए अपनी पूँजी को विभाजित कीजिए (Step 1 : Allocate Capital per Position): ट्रेडिंग की शुरूआत करने से […]

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इंट्राडे ट्रेडिंग करने का आदर्श तरीका
इंट्राडे ट्रेडिंग करने का आदर्श तरीका

इंट्राडे ट्रेडिंग करने का आदर्श तरीका (Ideal Intraday Trading Procedure in Hindi):

आप किसी भी प्रकार के ट्रेडिंग का लेन देन करने से पूर्व, आगे दी गई जानकारी की मदद से आगे बढिए।

1: हर पोजिशन के लिए अपनी पूँजी को विभाजित कीजिए (Step 1 : Allocate Capital per Position):

ट्रेडिंग की शुरूआत करने से पहले आपको हर पोजिशन के लिए रकम विभाजित करनी चाहिए। आपको ट्रेडिंग के लिए कितने स्क्रिप्ट में पोजिशन लेनी है और आपके पास कितनी पूँजी है इसके आधार पर वह रकम निश्चित की जाती है।

उदाहरण देकर बताना हो तो आपके पास रू.1,00,000 की पूँजी है। आपको पाँच ट्रेडिंग पोजिशन बाटना है। तो आप किसी भी एक पोजिशन में रू.20,000 का निवेश कर सकते है। इस से  ज्यादा निवेश एक पोजिशन में मत कीजिए।

2: हर पोजिशन में ज्यादा से ज्यादा कितने शेअर्स की ट्रेडिंग करनी चाहिए इसकी गिनती कीजिए (Step 2: Calculate Maximum Shares per Position):

ट्रेडिंग की हर पोजिशन में अधिकतम रकम का निवेश करने का निर्णय लेने के बाद उसमें जादा से जादा कितने शेअर्स का ट्रेडिंग किया जा सकता है यह निश्चित कीजिए।

ज्यादा से ज्यादा कितने शेअर्स का ट्रेडिंग कर सकते है इसका निर्णय, शेअर्स का भाव क्या है उस पर निर्भर होता है। शेअर्स का भाव जितना जादा होगा उतनी ही ट्रेडिंग करने केलिए शेअर्स की संख्या कम होगी।

उपर दिए उदाहरण ऐसा दिखता है कि हर ट्रेडिंग पोजिशन केलिए रू.20,000 की रकम निश्चित की गई है।

शेअर्स का भाव रू.100 होगा तो निवेशक अधिक से अधिक 200 शेअर्स की खरीदारी कर सकते है। उसी तरह दुसरे किसी शेअर्स का भाव 50रू. होगा तो निवेशक रू.20,000 में 400 शेअर्स का ट्रेडिंग कर सकते है।

3: हर ट्रेडिंग से होनेवाली हानी को 2% तक ही सिमित रखिए (Step 3 : Determine 2 percent Risk per Trade)

इससे पहले हमने बाताया है कि (रिस्क मॅनेजमेंट) जोखिम का नियंत्रण करने के लिए कुल रकम का 2% अधिक नुकसान नहीं होनी चाहिए।

ऊपर दिये उदाहरण की तरह ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास की पूँजी रू.20,000 है। दो प्रतिशत के हिसाब से रू.20,000 के ट्रेडिंग पर होनेवाला घाटा रू. 400 से अधिक नहीं होगा ऐसा आयोजन करना चाहिए।

4: स्टॉप लॉस का प्रमाण निश्चित कीजिए ( Step 4: Determine the Stop – Loss Point)

स्टॉप लॉस शब्द से ही ऐसा जान पड़ता है कि यह आपके फायदे का रक्षण करने के लिए है या फिर वह घाटा कम करने के लिए है।

शेअर्स के भाव पर स्टॉप लॉस निर्भर होता है। ज्यादा भाव के शेअर्स में स्टॉप लॉस की रेंज अधिक रखने की सलाह दी जाती है। उसी तरह कम भाव के शेअर्स केलिए स्टॉप लॉस की रेंज कम रखने की सलाह दी जाती है।

उदाहरण देकर बताना हो तो डे ट्रेडर रू.100 से रू.200 के भाव वाले शेअर्स की ट्रेडिंग करते हो तो उन्हे उसके लिए रू.4 से रू.5 की रेंज में स्टॉप लॉस रखना चाहिए और रू.1000 से रू. 1100 के भाववाले शेअर्स का ट्रेडिंग करते हो तो उनके लिए रू. 15 से रू.20 की रेंज में स्टॉप लॉस रखना चाहिए।

5: अधिकतम पोजिशन के साईज की गिनती कीजिए (Step 5 : Calculate Maximum Position Size)

हमने दुसरे मुद्दे में जो देखा वह पोजिशन में ज्यादा से ज्यादा कितने शेअर्स का ट्रेडिंग करना चाहिए। मगर वास्तविक रूप में ट्रेडिंग करने केलिए हमें कित शेअर्स की पोजिशन बनानी है वह हम स्टॉप लॉस कितनी रकम का रखते हो उस पर निर्भर होता है। नीचे एक उदाहरण देकर उसकी पूरी जानकारी दी गई है।

जैसे की तीसरे मुद्दे में दिया है आपका अधिकतम जोखिम या लॉस रू.400 का है।

अब अगर आप स्टॉप लॉस रू.4 का रखते है याने कि रू.100 के शेअर्स रू. 96 के स्टॉप लॉस से खरीदे, तो आप 100 शेअर्स का ही ट्रेडिंग कर सकते हो। यह संख्या दुसरे मुद्दे में दिए शेअर्स की संख्या से कम है।

इसी तरह अगर आपने स्टॉप लॉस रू. 9 रखा याने कि रू.100 के शेअर्स रू.99 के स्टॉप लॉस से खरीदे तो आप 400 शेअर्स का ट्रेडिंग कर सकते है। परंतु दूसरे मुद्दे के अनुसार आप जादा से जादा 200 शेअर्स का ट्रेडिंग कर सकते है। इसलिए आपको २०० शेअर्स का ही ट्रेडिंग करना चाहिए। रू. 100 कीमत के शेअर्स रू.98 के स्टॉप लॉस से याने कि रू. 2 का घाटा सहने केलिए राजी होकर ही खरीदे है इसलिए डे ट्रेडिंग करनेवाले ने अधिकतम रू.400 का घाटा सहने का निश्चित करके 200 शेअर्स का ट्रेडिंग कर सकते है।

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Stop Loss Theory 2023 in Hindi | स्टॉप लॉस का सिद्धांत https://www.tradingguider.com/stop-loss-theory-2023-in-hindi/ https://www.tradingguider.com/stop-loss-theory-2023-in-hindi/#respond Fri, 20 Oct 2023 17:08:10 +0000 https://www.tradingguider.com/?p=215 Stop Loss Theory 2023 in Hindi (स्टॉप लॉस का सिद्धांत): ‘स्टॉप लॉस’ शब्द से ही पता चलता है कि उसका मुख्य उद्देश्य यह है कि शेअर्स का भाव जब जादा होता है तब आपका फायदा बढाना या बचाकर रखना और जब शेअर्स का भाव घटता है तब आपके घाटे को मर्यादित करना । दुसरे शब्दों […]

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Stop Loss Theory 2023 in Hindi
Stop Loss Theory 2023 in Hindi

‘स्टॉप लॉस’ शब्द से ही पता चलता है कि उसका मुख्य उद्देश्य यह है कि शेअर्स का भाव जब जादा होता है तब आपका फायदा बढाना या बचाकर रखना और जब शेअर्स का भाव घटता है तब आपके घाटे को मर्यादित करना । दुसरे शब्दों में बताना हो तो उसका मूल हेतू आपको आर्थिक बरबादी से बचाना होता है। स्टॉप लॉस आपके लिए किसी ईन्स्योरन्स पॉलिसी की तरह कार्य करता है। स्टॉप लॉस तीन प्रकार के होते है।

1. आरंभिक स्टॉप लॉस.

2. ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस.

3. ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस.

सफल हुए कई ट्रेडर नुकसान को ट्रेडिंग का ही एक हिस्सा मानकर स्विकार करते है। घाटा उनको मिटा दे उससे पहले वह घाटा कम करने केलिए कदम उठाते है।

1. आरंभिक स्टॉप लॉस (Initial Stop Loss):

ट्रेडिंग की शुरूआत में ही आपको आरंभिक स्टॉप लॉस लगाना चाहिए। साधारण रूप से जब तेजि की पोजिशन ली जाती है तब पिछले दिन के कम भाव के थोडे से निचे के भाव से ही स्टॉप लॉस लगाना चाहिए। उसी तरह से मंदी की पोजिशन केलिए पिछले दिन के सबसे ऊँचे बंद भाव से थोडा उँचा स्टॉप लॉस लगाया जाता है।

इस तरह से सही स्टॉप लॉस का चयन करने के बाद आप अपने ट्रेडिंग की साईज निश्चित कर सकते है। रिस्क मॅनेजमेंट के नियम के अनुसार आपको यह साईज निश्चित करनी चाहिए। जैसे की हमने पहले चर्चा की रिस्क मॅनेजमेंट आरंभिक स्टॉप लॉस का उपयोग करके बाजार में आपको होने वाला घाटा मर्यादित रखने केलिए ही किया गया है।

2. ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस (Break- Even Stop – Loss ) :

आपने खडी की पोजिशन में आपकी गिनती के अनुसार शेअर्स का भाव ठीक से बढ रहा हो तब आप अपने स्टॉप लॉस को उपर ले जाकर ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस पर स्थिर कीजिए। दुसरे शब्दों में बताना हो तो आपने रू. 100 के भाव से खरीदे हुए और रू.98 के स्टॉप लॉस वाले शेअर्स का भाव रू.102 होता है तब आप स्टॉप लॉस रू.98 से उपर ले जाकर रू.100 पर स्थिर कर सकते है। इस व्यवस्था को ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस कहके पहचाना जाता है।

ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस निश्चित करने के बाद बाजार की स्थिति एकदम खराब हुई तो भी आपको नुकसान नहीं होता है। आपका घाटा मात्र दलाली की रकम तक ही सिमीत रहता है, जो बहुत कम ली जाती है। इस तरह से स्टॉप लॉस के व्यवस्थापन के कारण आप के मन को शांती मिलती है। उस की मदद से आपका बहुत बडा नुकसान होगा इस डर पर भी आप अंकुश रख सकते है।

3. ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस (Trailing Stop Loss):

बाजार में आपकी खड़ी की गई पोजिशन आपके निश्चित टार्गेट प्राईज पर पहुँचते ही आपके स्टॉप लॉस का ब्रेक ईव्हन स्टॉप लॉस में से ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस में बदल दिया जाता है।

ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस आपके स्टॉप लॉस को उपर ले जाने की प्रक्रिया है। ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस भाव में बढत या घटाव के अनुसार बढनेवाला या घटनेवाल स्टॉप लॉस है। इसे ट्रेईल प्राईज के नाम से भी जाना जाता है। तेजी की पोजिशन में ट्रेईल प्राईज अधिक होता है और मंदी की पोजिशन में ट्रेईल प्राईज कम होता है। यह निचे दिए उदाहरण से अच्छी तरह से स्पष्ट हो सकता है।

जिन शेअर्स में आपने तेजी की पोजिशन ली है उन शेअर्स का भाव रू.100 है। इन शेअर्स की आपकी खरीदी किमत रू. 96 है और आपका ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस रू.98 का है।

अब इन शेअर्स का भाव धीरे-धीरे बढता है और रू.101, 102, 103 होता है। भाव की इस बढोतरी के साथ ही आप अपना स्टॉप लॉस रू. 98 से ऊपर ले जाकर रू. 99, 100 और 101 करते है। अब शेअर्स का भाव रू. 103 पर स्थिर होकर घटने लगे तब भी आपका ट्रेईलिंग स्टॉप लॉस बदलता नहीं है। जब शेअर्स का भाव घटकर रू. १०१ या उस से भी निचे जाता है तब वह शेअर्स बेचकर हर शेअर्स पर रू. 5 का फायदा लेकर बाहर निकलते है।

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Risk Control and Risk Management in Hindi | रिस्क मैनेजमेंट और रिस्क कंट्रोल क्या है? https://www.tradingguider.com/risk-control-and-risk-management-in-hindi/ https://www.tradingguider.com/risk-control-and-risk-management-in-hindi/#respond Thu, 19 Oct 2023 16:20:51 +0000 https://www.tradingguider.com/?p=209 Risk Control and Risk Management in Hindi (रिस्क मैनेजमेंट और रिस्क कंट्रोल क्या है?) Risk Control and Risk Management in Hindi- ज्यादातर निवेशक और डे ट्रेडर रातो रात करोडपती बनने की अपेक्षा से डे ट्रेडिंग करते है। मगर यह अपेक्षा अवास्तविक है। डे ट्रेडिंग का काम नए सिरे से शुरू करनेवाले व्यक्ति के पास उसका […]

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Risk Control and Risk Management in Hindi
Risk Control and Risk Management in Hindi

Risk Control and Risk Management in Hindi (रिस्क मैनेजमेंट और रिस्क कंट्रोल क्या है?)

Risk Control and Risk Management in Hindi- ज्यादातर निवेशक और डे ट्रेडर रातो रात करोडपती बनने की अपेक्षा से डे ट्रेडिंग करते है। मगर यह अपेक्षा अवास्तविक है।

डे ट्रेडिंग का काम नए सिरे से शुरू करनेवाले व्यक्ति के पास उसका कुछ भी अनुभव नहीं होता है। डे ट्रेडिंग कैसे करना चाहिए यह अनुभव से ही सिखा जा सकता है। जिस तरह पानी में गिरे बिना तैरना नहीं सिखा जा सकता ठिक उसी तरह से डे ट्रेडिंग का काम शुरू किए बगैर उसका अनुभव नहीं मिल सकता है। शेअर बाजार में साधारण रूप से ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति अपनी गलतीयों में से ही सिखते है। मगर इस प्रक्रिया में आपको बड़ी रकम गवाँनी पड़ती है। शेअर बाजार में ट्रेडिंग करते समय शूरूआत में अपने पैसों का जतन करने का पाठ पहले सिखना पडता है।

सभी ट्रेडर्स को उनका अस्तित्व बनाए रखने केलिए जोखिम को नियंत्रण में रखने की कला सिखना जरूरी है। डे ट्रेडिंग करनेवाले शूरूआत में ही बहुत बडी पोजिशन खड़ी करके जोखिम को नियंत्रण में रखने की बात को ध्यान में न ले तो उन्हें बड़ी रकम का घाटा सहन करते है ऐसा देखा गया है।

जोखीम को अंकुश में रखने केलिए और जोखीम को नियंत्रित करने का सिद्धांत (Principles of Risk Control & Risk Management);

1. जितना घाटा आप सह सकते है उतनी ही रकम से ट्रेडिंग कीजिए (Trade only with Money you can Afford to Lose):

डे ट्रेडिंग में सबसे बड़ा खतरा अगर कोइ है तो वह है पैसा गवाँने का। परंतु इस डर से ही डे ट्रेडर कई बार अपना मुनाफा काटकर घाटे को बढाते है। आपको लगने वाला डर कुछ अंश कम करने केलिए सबसे पहले ऐसा निश्चित कीजिए की जो रकम आप ट्रेडिंग में लगानेवाले है वह सब रकम आप गवाँ सकते है।

आप इस प्रकार के डर के बिना ट्रेडिंग शूरू करोगे तो इस बाजार में सफल होकर अच्छी कमाई करने की आपकी संभावना और भी बढती है।

हमारी ऐसी सलाह है कि आप जितने पैसो का घाटा सह सकते है उतने ही पैसो से ट्रेडिंग कीजिए ।

2. जितना छोटा हो उतना ही अच्छा (Smaller is Better):

भारतीय शेअर बाजार में अनुभव हासिल किए हुए ट्रेडर से कई प्रकार के भाषण आपको सुनने को मिलेंगे। कई ट्रेडर्स काफी समय तक बाजार में रहकर बहुत बडी कमाई करने के बाद अचानक सभी गवाँ चुके है ऐसा भी देखने को मिलता है। उसका एक ही कारण है कि कामयाबी के नशे में वह उन पैसों का नियमन करने का बहुत पूराना और अति महत्वपूर्ण नियम का उल्लंघन करते है।

डे ट्रेडिंग में आपकी पोजिशन जितनी छोटी हो उतनी ही आसानी से आप उसका नियमन कर सकते है। “सही पोजिशन और जादा से जादा फायदा ” इनका सिधा संबंध होता है। डे ट्रेडिंग में घाटा अनिवार्य है पर आपकी पोजिशन जितनी छोटी होगी उतना आपका घाटा कम होगा। कम प्रमाण में गवाँई गई रकम दुसरे ट्रेडिंग में फिर से पाई जा सकती है और भावनात्मक दृष्टी से वह कम तकलीफ वाली है साबित होती।

जब आप बहुत बडी पोजिशन खडी करते है तब आपका घाटा भी अधिक हो सकता है। इस बड़े घाटे से गवाँई हुई रकम फिर से पाने केलिए भविष्य में बडी कमाई की आवश्यकता होती है।

3. जोखिम के नियमन केलिए 2% का नियम (2% Rule of Risk Management):

दुनियाभर में जोखिम के नियमन केलिए उपलब्ध नियमों में से 2% का नियम प्रसिद्ध है। इस सिद्धांत के अनुसार हर किसी व्यवहार में निवेश की कुल रकम के २% से अधिक का घाटा नहीं होना चाहिए।

आदर्श स्थिति में ब्रोकरेज की किमत और सरकारी करों का भी इसमें समावेश होना चाहिए। परंतु आदर्श परिस्थिति में उन सभी का उसमें समावेश करना मुमकिन नहीं होता।

इस तरह से 2% का नियम निवेशकों का घाटा मर्यादित करके उनकी पूँजी का जतन करने केलिए तैयार किया गया है।

इस नियम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर निवेशक एक ही दिन में कई (4-5 बार) गलतियाँ करे फिर भी वह अपने निवेश का जादातर हिस्सा नहीं गवाँते। इस वजह से उन्हें धक्का नही लगता और वह दुसरे दिन फिर से ट्रेडिंग करके अपना घाटा बराबर कर सकते है।

4. मार्जिन ट्रेडिंग करते समय अधिक लिवरेज का लाभ लेना टालिए (Avoid Excessive Leverage while Margin Trading):

शेअर्स खरीदने की आपकी शक्ति में बढोतरी करने केलिए मार्जिन का उपयोग करना आजकल डे ट्रेडिंग करनेवालो में स्वीकार्य बनी हुई और सामान्यरूप से व्यवहार में अमल में लानेवाली कार्यपद्धती है। परंतु इस मार्जिन ट्रेडिंग से संबंधित जोखिम का भी आपको अंदाजा होना चाहिए।

मार्जिन के माध्यम से लिवरेज का अधिक उपयोग करना भी एक जोखिम का ही हिस्सा है। इसलिए अगर आप डे ट्रेडिंग नए सिरे से शुरू कर रहे हो तो लिवरेज का अधिक उपयोग करना आपके लिए अधिक जोखिम भरा हो सकता है।

कामयाब ट्रेडिंग के लिए (रिस्क-कंट्रोल) रिस्क-कंट्रोल में रखना बहुत महत्वपूर्ण है। जोखिम पर नियंत्रण न करने से बड़े बड़े अनुभवी शेअर बाजार में बह गए है ऐसा दिखाई पडता है। ट्रेडिंग में अधिक समय तक जमे रहने केलिए जोखिम का नियंत्रण करना आवश्यक है।

नोट (Note):

क्लायंट का वॉल्यूम और अन्य कई पहलुओं के आधिन होकर ब्रोकर सामान्य रूप से निवेशक को पाँच से सात गुना एक्सपोजर लिमीट देते है।

नीचे दिए उदाहरण में मार्जिन ट्रेडिंग के साथ होनेवाले जोखिम का अंदाजा दिया गया है।

उदा. 1. मार्जिन के बिना ट्रेडिंग (Trading without Margin):

आपके पास की पूँजी – रू.10000 ट्रेडिंग की रकम रू.10000 रू.100 के भाव से 100 शेअर्स खरीद के रू.98 का स्टॉप लॉस रखे हुए ट्रेडिंग में ज्यादा से ज्यादा संभावित घाटा रू.200 (100×2) का हो सकता हैं।

उदा. 2. मार्जिन पर किया हुआ ट्रेडिंग (Trading on Margin):

आपके पास की पूँजी – रू.10000

ट्रेडिंग की रकम – रू.50000 (5 गुना एक्सपोजर लिमीट)

आपने 100 शेअर्स के बदले 500 शेअर्स खरीदे। जिन शेअर्स की किमत रू.100 है। उनकी खरीददारी करते समय रू.98 का स्टॉप लॉस रखा तो इस ट्रेडिंग में ज्यादा से ज्यादा घाटा रू. 1000 (500 x 2 ) का होगा।

इस तरह मार्जिन ट्रेडिंग करने से आप अपना फायदा या नुकसान बड़ा सकते है। अगर आप बाजार में नए हो तो मार्जिन ट्रेडिंग करना टाल दीजिए ।

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